हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व माना जाता है। हर माह में दो एकादशी होती हैं और जो व्यक्ति यह व्रत रखता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हिंदू धर्म में कामिका एकादशी का भी बहुत महत्व माना जाता है। पंचांग के अनुसार इस साल सावन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली कामिका एकादशी 31 जुलाई को है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने पर विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही यह व्रत तब तक पूरा नहीं होता जब तक इस व्रत से जुड़ी कथा न सुनी जाए, इसलिए हम आपको व्रत पूर्ण करने के लिए कथा बताएंगे।
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कामिका एकादशी की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक गांव में एक पहलवान रहता था। वह दिल का बहुत अच्छा इंसान था, लेकिन उसका स्वभाव बहुत ही गुस्सैल था। इसलिए वह कभी-कभी किसी से बहस भी कर लेता था। एक बार उसका झगड़ा एक ब्राह्मण से हो गया। उसे इतना गुस्सा आया कि उसने ब्राह्मण की हत्या कर दी, जिसके कारण पहलवान पर ब्राह्मण की हत्या का आरोप लगा। खुद को इस पाप से बचाने और पश्चाताप करने के लिए वह उसके अंतिम संस्कार में शामिल हुआ, लेकिन पंडितों ने पहलवान को वहां से भगा दिया।
इसके बाद, पंडितों ने पहलवान को सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दिया और उसके घर में कोई भी धार्मिक कार्य करने से मना कर दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि वह एक ब्राह्मण की मौत का जिम्मेदार है। इसके बाद पहलवान बहुत क्रोधित हुआ और उसने एक साधु से पूछा कि वह ब्राह्मण की हत्या के अपने पश्चाताप से कैसे उबर सकता है।
पंडितों ने बताया उपाए
पंडितों ने बताया कि, जब तक वह सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा नहीं करेगा, ब्राह्मणों को भोजन नहीं कराएगा और दान-दक्षिणा नहीं देगा, तब तक वह ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त नहीं हो सकता। ब्राह्मण के अंतिम संस्कार के बाद क्षत्रिय ने पंडितों की सलाह मानकर कामिका एकादशी के दिन पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की, फिर ब्राह्मणों को भोजन कराया और दान-दक्षिणा भी दी। इस तरह भगवान विष्णु की कृपा से उसे क्षत्रिय ब्रह्महत्या दोष से मुक्ति मिल गई।
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