क्या आपने कभी भी सिखों को धूम्रपान करते हुए देखा है? क्या आपने उन्हें कभी तंबाकू का सेवन करते हुए देखा है? नहीं ही देखा होगा… लेकिन क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह सिखों के दसवे गुरु यानी की गुरु गोबिंद सिंह जी है। जी हां… उन्होंने ही सिखों को चार कुरहितों में से एक तंबाकू का सेवन करने से मना किया था। इसके पीछे क्या कहानी है आइए आपको बताते है।
दरअसल, सिखों के दसवे गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी ने कुछ अनुशासन बनाए थे। इन अनुशासन में चार कुरहिते शामिल है, जिनमें से तंबाकू का सेवन न करना एक है। तंबाकू का सेवन ना करने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। दरअसल एक बाक गुरु गोबिंद सिंह जी अपने एक बार अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। तभी रास्ते में उन्हें तंबाकू का पौधा दिखा। ऐसे में उन्होंने तुरंत अपना घोड़ा रोका और तंबाकू का पौधा उखाड़ फेका। गुरु जी के ऐसा करने पर शिष्यों के मन में सवाल उठा कि आखिर गुरु जी ने तंबाकू का पौधा क्यों उखाड़ा।
गुरु गोबिंद सिंह जी ने क्यों उखाड़ा तंबाकू का पौधा
दुविधा में पड़े शिष्यों ने आखिरकार गुरु गोबिंद सिंह जी से पूछा कि गुरु जी आपने तंबाकू का पौधा क्यों उखाड़कर फेंक दिया। तब गुरु जी ने उनकी असमंजस को दूर करते हुए बताया कि शराब पीने वाले सिर्फ एक पीढ़ी को बर्बाद करते है लेकिन तंबाकू खाने वाले अपनी आने वाली सभी पीढ़ियों को तबाह कर देते है। तंबाकू की बुरी लत लगने से कई भयंकर बीमारियां पैदा होती है। जिसकी वजह से ये लाइफटाइम तक दर्द देती है। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने शिष्यों को ये सीख देकर इससे होने वाले नुकसान से बचाने की कोशिश की। यही वो वजह है जिसके लिए सिख तंबाकू का सेवन नहीं करते है।
सिखों ने आदेशों का किया पालन
सिखों ने अपने गुरु की आज्ञा का पालन कर उनके दिए हर वचनों को माना। साथ ही उनकी बताए हर बातों पर गौर कर अपने जीवन में ढाल लिया। इसी वजह से सिखों की पर्सनेलिटी, उनकी फिटनेस और उनके सोचने का तरीका एकदम बेमिसाल या लाजवाब होता है।