आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसे विषय है, जिनके बारे में बात करने पर लोग कतराते हैं। जिनमें सभी महिलाओं को हर महीने होने वाली मासिक धर्म भी शामिल है। इसे लेकर कई तरह की गलतफहमियां फैली हुई है। समाज का एक तबका तो मासिक धर्म में रहने वाली महिलाओं को अछूत तक करार दे देता है। जहां इस वक्त महिलाओं को सबसे ज्यादा मानसिक और शारीरिक देखभाल की जरूरत होती है, तो वहीं उल्टा उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है जैसे मासिक धर्म कोई लाइलाज बीमारी हो, कोई पाप हो, महिलाओं को मिला कोई श्राप हो।
क्यों महिलाओं को ही दिया गया श्राप?
लेकिन सवाल है कि क्या वाकई में ये श्राप है? और अगर इसे श्राप कहा भी जाता है, तो ये श्राप महिलाओं को ही क्यों झेलना पड़ा, जबकि असल में इसका जिम्मेदार कोई और ही है। क्या है महिलाओं को मिले इसे श्राप के पीछे का रहस्य और किसके किए गए पापों का प्रायश्चित कर रही है महिलाएं? आज के हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे है।
जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी
दरअसल हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार महिलाओं को हर महीने होने वाली मासिक पीड़ा के पीछे देवताओं के राजा इंद्र का हाथ हैं। इंद्र के बारे में अगर आपने पढ़ा होगा तो आपने एक बात समझ आई होगी कि अक्सर मुसीबत वो खुद बुलाते थे, लेकिन समाधान मांगने के लिए वो त्रिदेवों के पास जाते थे। एक ऐसे ही कर्म का समाधान है महिलाओं को मिला मासिक धर्म का श्राप।
कथा के अनुसार एक बार देवताओं के गुरु बृह्स्पति किसी बात पर देवराज इंद्र से नाराज हो गए थे। उन्हें मनाने के लिए इंद्र ने ब्रह्मदेव से मदद मांगी, जिस पर उन्होंने इंद्र को किसी सिद्ध पुरुष की सेवा करने की सलाह दी। इंद्र ने एक सिद्ध महर्षि की सेवा शुरु कर दी, लेकिन उन्हें ये नहीं पता था कि वो सिद्ध पुरुष राक्षसी प्रवृत्ति का है, क्योंकि उसकी माता एक राक्षसी थी, वो इंद्र की चढ़ाई सारी हवन सामग्री राक्षसों को भेंट कर देता था, जिनसे दैत्यों की ताकत और बढ़ रही थी।
मगर जब इंद्र को ये बात पता चली तो इंद्र ने सिद्ध पुरुष का वध कर दिया। चूंकि भले ही सिद्ध पुरुष राक्षसी प्रवृत्ति का था, लेकिन ब्राह्मण था, इस कारण इंद्र पर ब्राह्मण हत्या का पाप लग गया। इंद्र ने इस पाप से छुटकारा पाने के लिए कई सौ सालों तक तपस्या की, लेकिन कोई उपाय काम नहीं आया, जिसके बाद भगवान विष्णु ने उन्हें अपना पाप 4 हिस्सों में बांटने सलाह दी।
इंद्र ने अपने पाप का एक हिस्सा पेड़ को दिया और ये वरदान दिया कि वो मरने के बाद खुद से जी सकता है। एक हिस्सा पानी को दिया, जिसके बदले पानी को ये वरदान दिया कि वो किसी भी चीज को पवित्र कर सकती है। पाप का एक हिस्सा भूमि ने लिया, जिसके बदले इंद्र ने भूमि को ये वरदान दिया कि धरती पर लगी चोटें खुद भर जाया करेगी।3
श्राप के साथ मिला ये वरदान
पाप का चौथा हिस्सा महिलाओं को दिया, लेकिन महिलाओं को इस पाप को लेने के कारण उन्हें हर महीने मासिक धर्म की पीड़ा सहनी पड़ेगी ये भी कहा। लेकिन पाप का एक हिस्सा लेने के बदले इंद्र ने महिलाओं को ये वरदान दिया कि संभोग के वक्त महिलाएं पुरुषों की तुलना में काम का आनंद ज्यादा ले पाएगी।
यानि की इंद्र देव के ब्रह्म हत्या का पाप ही हर महीने महिलाओं के शरीर से मासिक धर्म के रूप में निकलता है और महिलाएं इसी पाप को झेल रही है।