कार्तिक पूर्णिमा के ही दिन सिखों के पहले गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। इस दिन को गुरुनानक जयंती के रूप में मनाया जाता है। सिख धर्म के लोगों के लिए गुरुनानक जयंती सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। गुरु नानक देव जी, जो सिखों के पहले गुरु माने जाते है। आज हम आपको बताएंगे की नानक देव को कैसे मिला गुरु का दर्जा… क्या था उनको गुरु का दर्जा देने का कारण और कैसे हुई सिख धर्म की स्थापना… आइए बताते है…
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को ननकाना साहिब में हुआ था। गुरु नानक देव जी के पिता का नाम कालू बेदी और माता का नाम तृप्ता देवी था। उनकी बहन का नाम नानकी था। जब गुरु नानक देव बड़े हुए तो उनके पिता ने उन्हें गायों को संभालने की जिम्मेदारी सौप दी। लेकिन नानक जी को इस काम में कोई दिलचस्पी नहीं थी। वे गायों को छोड़ ध्यान में लीन हो थे। तभी गायें दूसरों की खेतों में जाकर उनकी फसलें खराब कर देती थी। इसी वजह से गुरु नानक देव जी के पिता उन पर बिगड़ जाते थे। हालांकि गांव के लोगों ने गुरु नानक जी को observe किया और उनके साथ चमत्कारिक चीजे होती देखी जिसके बाद लोग उन्हें संत समझने लगे।
गुरु नानक जी की शादी 1487 में हुई
गुरु नानक को ध्यान में लीन देखते हुए उनके पड़ोसी ने गुरुनानक के पिता को cultural studies करवाने की सलाह दी। क्योकि उन्हें धार्मिक चीजों से काफी लगाव था। जिसके बाद 1487 में गुरु नानक जी की शादी माता सुलखनी से हो गई। शादी के बाद उनके दो बेटे हुए, एक का नाम श्रीचन्द और दूसरे का लक्ष्मीचंद था। इन सबके बीच गुरु नानक जी के पिता चाहते थे कि गुरुनानक जी कोई बिजनेस करे। ताकि उनका घर-परिवार चल सके। बिजनेस के लिए पिता ने नानक जी को कुछ पैसे दिए। लेकिन उन पैसों को नानक जी ने गरीबों और जरुरतमंदों को दान कर दिए। घर लौटने पर उनके पिता ने पैसों के बारें में पूछा तो नानक जी ने उन्हें सब बताया जिस पर उनके पिता बिगड़ गए। इसके जवाब में गुरु नानक जी ने कहा अच्छा काम करने का फल हमेशा अच्छा ही होता है।
नानक जी के पिता उनसे हो चुके थे परेशान
गुरु नानक जी की ऐसी हरकतों से उनके पिता उनसे तंग आ चुके थे। पिता ने सोचा कि नानक को कामकाज तो करना ही पड़ेगा। इसी के लिए नानक के पिता ने उन्हें उनकी बहन नानकी के घर काम के लिए भेज दिया। वहां जाकर नानक काम भी करने लगे। इस दौरान नानक जी की मुलाकात एक ऐसे शख्स से हुई जो कुछ ही समय में उनके करीबी बन गए। वो शख्स थे कवि मरदाना। इसके बाद नानक जी हर दिन काम पर जाने से कवि से मिलते और उनके साथ मिलकर ध्यान करते थे।
नानक जी को गुरु बुलाना ऐसे हुआ शुरु
फिर एक दिन नानक जी कवि के साथ नदी किनारे ध्यान लगाने और नहाने गए। नानक नदी के पानी में उतरे और फिर गायब ही हो गए। तकरीबन 3 दिन तक गायब रहने के बाद नानक, ना कोई हिंदू ना कोई मुसलमान कहते हुए बाहर आए। उनकी ऐसी बाते सुनकर लोग नानक को संत मानने लगे। यही वो समय था जब लोगों ने उन्हें गुरु कहना शुरु कर दिया था। और तभी से उन्हें गुरु नानक कहा जाने लगा।
नानक ने अपना सब कुछ गरीबों में बांट दिया
इस पूरी घटना के बाद नानक जी खुद को पूरी तरह से ध्यान करने में विलीन हो गए। खुद को ध्यान में समर्पण करने के लिए उन्होंने अपना काम काज तक छोड़ दिया साथ ही अपना सारा सामान गरीबों में बांट दिया। इसके बाद उन्होंने अपने परिवार के लिए हर जरुरत की चीजो इंतजाम किया। जिसके बाद नानक मरदाना के साथ धार्मिक यात्रा पर निकल गए। इस दौरान दोनों ने ही जगह-जगह घूम-घूमकर लोगों को धर्म से जुड़ी जानकारी देना शुरु किया।
सिख धर्म की शुरुआत गुरु नानक देव जी ने की
सबसे बड़ी बात आपको बता दें कि सिख धर्म की शुरुआत सिखों के सबसे पहले गुरु, गुरु नानक देव जी ने पंजाब में की थी। उस दौर में पंजाब में हिंदू और इस्लाम धर्म ही था। तब गुरु नानक देव जी ने लोगों को सिख धर्म की जानकारी देनी शुरु की, जो इस्लाम और हिंदू धर्म से काफी अलग था। गुरु नानक देव जी के बाद 9 औऱ गुरुओं ने सिख धर्म को आगे बढ़ाने का काम किया।