कहा जाता है कि इस दुनिया में श्री राम के सबसे बड़े भक्त पवन पुत्र हनुमान को संसार में सशरीर रहने का वरदान प्राप्त है। यानि की जब तक ये संसार है, जब तक कालचक्र चल रहा है तब तक हनुमान जी भी धरती पर मौजूद रहेंगे। हनुमान जी को अष्ट सिद्धियां और नौ निधियों का दाता कहा जाता है। वो संसार के एकमात्र ऐसे देवता है, जिनके पास ये दोनो है। लेकिन कैसे मिली थी हनुमान जी को अष्ट सिद्धियां और नौ निधियां। और क्यों वो है हमेशा के लिए अजर अमर देव…आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे है।
कैसे मिला अष्ट सिद्धि का वरदान?
पुराणों के अनुसार हनुमान जी देवो के देव महादेव का ही एक रूप है। कहा जाता है कि जब जब भगवान विष्णु किसी रूप में धरती पर आए तब तब भगवान शिव भी किसी न किसी रूप में धरती पर आए है। दोनों ही देव एक दूसरे को अपना आराध्य मानते है। ऐसे में जब विष्णु जी ने राम बनकर अयोध्या में अवतार लिया तो महादेव ने भी हनुमान बन कर माता अंजनी के गर्भ से जन्म लिया। जब श्रीराम और सीता जी 14 साल का वनवास काट कर वापस अयोध्या लौटे थे तब हनुमान जी ने अपना सीना फाड़ कर राम-सीता के प्रति अपनी अटूट भक्ति का प्रमाण दिया था। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर माता सीता ने हनुमान जी को अष्ट सिद्धियां और नौ निधियों का दाता होने का वरदान दिया था। ये अष्ट सिद्धी है- अणिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व और वशित्व और नौ निधियां है – रत्न किरीट, केयूर, नुपूर, चक्र, रथ, मणि, भार्या , गज, और पद्म।
कहा जाता है कि जिनके पास ये अष्ट सिद्धियां और नौ निधियां होती है वो संसार में किसी भी चीज को हासिल कर सकता है।
क्या होती है सिद्धि और निधि?
सिद्धी का मतलब होता है कि किसी भी कार्य में असामान्य कुशलता मिल जाए। सिद्धि प्राप्त होने का अर्थ के किसी भी कार्य में आपको पूर्णता और सफलता प्राप्त हो जाए। यानि की जिस कार्य में आप कुशल हुए है वो आप दूसरो के मुकाबले ज्यादा बेहतर और निपुणता से कर सकते है। इन सिद्धी को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को घोर तपस्या करनी होती है। तो वहीं नीधि वो शिक्षाएं है जो मनुष्यों के जीवन को बदलने वाला होता है। ये व्यक्ति के गुण विशेष को बताता है। इसे प्राप्त करने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से काफी शक्तिशाली हो जाता है। इनकी आयु लंबी होती है और ये किसी भी मौसम में एक समान स्थिर रह सकते है।
हनुमान जी को ये सिध्दियां और नीधियां वरदान में मिली थी और ये अपने भक्तों को भी इसका आशीर्वाद दे सकते है।