25 जुलाई रविवार से सावन का पवित्र महीना शुरू होने जा रहा है। हिंदू धर्म में सावन के महीने का खास महत्व होता है। भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए इस महीने में उनकी पूजा अर्चना करते हैं। वहीं सावन के दौरान कांवड़ यात्रा भी निकाली जाती है। लेकिन कोरोना महामारी की वजह से पिछले साल की ही तरह इस साल भी कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी गई है।
भोलेनाथ के बारे में ऐसा कहा जाता है कि उनका व्यवहार नाम की ही तरह भोला हैं। कोई भक्त उनको जो कुछ भी श्रद्धा के साथ चढ़ाता है, वो उसको खुशी खुशी स्वीकार लेते हैं। सावन मास के सोमवार को भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है। वहीं सावन में महादेव को धतूरा, बेलपत्र, भांग, इत्र, चंदन, केसर, अक्षत, दही, घी, गन्ने का रस और फूल चढ़ाना भी शुभ माना जाता है।
लेकिन कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जिन्हें इस्तेमाल भगवान शिव की पूजा में नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से महादेव आपसे क्रोधित हो सकते हैं। तो आइए हम आपको बताते हैं उन चीजों के बारे में…
– हिंदू धर्म में वैसे तो तुलसी के पौधे और उसके पत्तों का काफी खास महत्व होता है, लेकिन भोलेनाथ की पूजा में इसका इस्तेमाल नहीं करने को कहा जाता है।
– टूटा हुआ चावल भोलेनाथ तो कभी नहीं अर्पित करना चाहिए। इसे अशुद्ध और अपूर्ण माना जाता है। टूटे चावलों से किसी भी देवी-देवता की पूजा नहीं करना चाहिए, ऐसा करने अशुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को अक्षत यानी साबूत चावल चढ़ाए जाने चाहिए।
– शिव जी की पूजा में गलती से भी नारियल का इस्तेमाल भी ना करें। शास्त्रों के अनुसार नारियल माता लक्ष्मी का प्रतीक होता। देवी लक्ष्मी का संबंध भगवान विष्णु से है, इसलिए नारियल कभी भी भगवान शिव को अर्पित नहीं किया जाना चाहिए
– महादेव की पूजा में शंख का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। दरअसल, बताया जाता है कि शंखचूड़ नाम का एक असुर भगवान विष्णु का भक्त था। उसका भगवान शिव ने वध कर दिया था। भस्म होने के बाद उसकी हड्डियों से शंख बना था। शिव जी ने उसका अंत किया था, इसलिए शंख उनकी पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
– इसके अलावा केतकी के फूल का इस्तेमाल कभी भी भगवान शिव की पूजा में ना करें। पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी में इस बात को लेकर विवाद हो गया कि दोनों में से श्रेष्ठ कौन हैं? तब ब्रह्मा जी ने खुद को श्रेष्ठ बताने और शिवलिंग के छोर तक पहुंचने के दावे के लिए केतकी के फूल को साक्षी बताया। केतकी फूल के झूठा साक्ष्य देने पर शिव जी नाराज हो गए और अपनी पूजा में इसके इस्तेमाल नहीं होने की बात कही।
– इसके अलावा भोलेनाथ की पूजा में रोली या कुमकुम, हल्दी और काले तिल का भी इस्तेमाल नहीं करनी की बात कही जाती है।