हमेशा ही ऐसी खबरें आती रही हैं कि फलाने ने हिंदू धर्म छोड़ बौद्ध धर्म अपना लिया या इसी तरह की कई और खबरें सुनने को मिलती है। तो आज हम जानेंगे कि हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म के बीच किस तरह की समानताएं और कैसे अंतर हैं?
भारत में हिंदू धर्म हो या फिर जैन या फिर बौद्ध धर्म ये सभी बेहद पुराने धर्म है जिनका अस्तित्व हजारों सालों का है। इनमें हिंदू और बौद्ध धर्म काफी बड़े पैमाने पर फैला है। तो दोनों में समानताएं और अंतर भी है, ऐसे में आइए इसे ही जानते हैं…
एक जीव से मुक्त होने की दोनों धर्म में है अवधारणा
दोनों धर्मों में ये बात की जाती रही है कि बंधन से खुद को मुक्त कर लिया जाए। मनुष्य के जीवन का यही सबसे मुख्य लक्ष्य है। इसे हिंदू धर्म में मोक्ष कहते हैं तो वहीं ये धर्म, अर्थ और काम और चार पुरुषार्थों में से एक है। बौद्ध धर्म की बात करें तो इसमें जो निर्वाण बताया गया उसकी अवधारणा को सही कर्म करने से मध्यमा प्रतिपाद के जरिए पाया जा सकता है।
मूर्ति पूजा, हिंदू और बौद्ध धर्म
ये ध्यान में रखना बेहद जरूरी है कि शुरू में तो बौद्ध धर्म के हीनयान में पूरी तरह से मूर्ति पूजा को नहीं माना जाता था पर फिर बौद्ध धर्म की रीतियों के बाद यानी महायान और वज्राना जिसमें बुद्ध और बोधिसत्व की मूर्तियां पूजी जाती हैं। वहीं गुप्त काल से ही ऐसा हुआ कि हिंदू धार्मिक प्रथाओं इसके अलावा रीति-रिवाजों में जोरोंशोरों से प्रतिमाओं और मूर्तियों के पूजन का प्रचल चला और अब तो मूर्ति पूजा बेहद अहम है।
योग के महत्व के बारे में क्या कहता है हिंदू और बौद्ध धर्म
हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म इन दोनों ही धर्मों में इच्छाओं, अभिलाषाओं और लगाव को हमेशा दुख और कष्ट की वजह माना गया है। ब्रह्मांडीय भावना से जुड़ने इसके साथ ही भ्रम की दुनिया से निकलने का योग और ध्यान को बड़ा जरिया माना गया है और काफी महत्व दिया गया है।
हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म में अंतर की बात कर लेते हैं
जाति व्यवस्था और हिंदू धर्म
जाति व्यवस्था हिन्दू धर्म में मुख्य तौर परकाम के आधार पर बनाया गया लेकिन फिर स्य के साथ गलत तरीके से ये समाज में घुसती चली गई। फिर लोगों के निजी स्वार्थों की वजह से ऊंच नीच का भेद आ गया। जाति व्यवस्था आज भी हिंदू धर्म का नहीं अलग होने जैसा हिस्सा है। तो वहीं बौद्ध धर्म के बुनयादी सिद्धांत, यहीं है कि जाति व्यवस्था के खिलाफ है ये धर्म।