भारत में हर धर्म के लोग रहते हैं। यहां हर धर्म की अपनी पहचान और अलग-अलग मान्यताएं हैं। हालांकि, भारत के दो धर्म ऐसे हैं जो अपास में बहुत समान हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं हिंदू, हिंदू और सिख धर्म की। जी हां, हिंदू और सिख दो ऐसे धर्म हैं जिनकी मान्यताएं और आपसी सोच कुछ हद तक एक-दूसरे से मिलती-जुलती है। अगर आप दोनों धर्मों को समझेंगे और पढ़ेंगे तो आपको उनमें समानता जरूर नजर आएगी। यहां तक कि सिख धर्म के संस्थापक बाबा नानक ने भी सिख धर्म के संबंध में हिंदू धर्म से प्रेरणा ली थी, जिसके लिए उन्होंने सभी हिंदू स्थानों की यात्रा की थी। बाबा नानक ने जगन्नाथ पुरी, द्वारका और रामेश्वरम जैसे तीर्थ स्थानों का दौरा किया था, इन सभी स्थानों पर गुरुद्वारे भी हैं। वैसे तो दोनों धर्मों के बीच इतनी समानताएं हैं, लेकिन क्या दोनों धर्मों के लोग एक-दूसरे के धर्म में शादी कर सकते हैं? उत्तर जानने के लिए अंत तक हमारे साथ बने रहें
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सिखों और हिंदुओं के बीच अलगाववाद
हिंदू-सिखों के बीच अलगाववाद कुछ हद तक 15वीं शताब्दी में शुरू हुआ जब गुरु नानक देव जी ने हिंदू धर्म की कुछ प्रथाओं के खिलाफ प्रचार करना शुरू किया। दरअसल गुरु नानक देव जी मूर्ति पूजा के विरोधी थे। वे इसे निरर्थक मानते थे और वे सदैव रूढ़ियों एवं बुरी परंपराओं के विरोधी थे। हालांकि, गुरु नानक देव जी ने कभी भी हिंदू धर्म का विरोध नहीं किया। लेकिन समय के साथ साथ गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को भी तोड़ मरोड़कर अलग ढंग से पेश किया गया और यह गढ़ने की कोशिश की गई कि गुरु जी सनातन विरोधी थे, जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। इन्हीं भ्रांतियों के चक्कर में सिखों का एक बड़ा तबका हिंदू विरोध में खड़ा हो गया।
इसके बाद यह अलगाववाद तब और बढ़ गया जब 1929 के आसपास अकाली आंदोलन के संस्थापक सदस्य मास्टर तारा सिंह ने खालिस्तान को लेकर आवाज उठानी शुरू की और आजादी के तुरंत बाद इस मांग ने और जोर पकड़ लिया, लेकिन बाद में भारतीय सरकार द्वारा इस आवाज को दबा दिया गया।
इसके बाद जब 1971 में बांग्लादेश की स्थापना हुई तो सिखों की अलग देश की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी और इसी तरह से हिंदुओं और सिखों के बीच तनाव बढ़ता चला गया। हालांकि, 1984 के आपरेशन ब्लू स्टार से आहत खुशवंत सिंह ने भी 1991 में, इलस्ट्रेटेड वीकली में लिखा था, ‘सिख धर्म हिंदू धर्म की एक शाखा है और केवल खालसा आस्था के बाहरी प्रतीकों द्वारा ही यह इससे अलग है। धर्मशास्त्र पूरी तरह से हिंदू है। गुरु अर्जुन द्वारा रचित ग्रंथ साहिब का लगभग नौवां भाग वास्तव में वेदांत है, और उपनिषदों और गीता में आप जो कुछ भी पढ़ते हैं उसका सार है’
हिन्दू-सिख में नहीं है अंतर
वास्तव में, सिखों को कभी भी अलग नहीं समझा गया। हिंदू और सिखों ने ऐतिहासिक रूप से एक-दूसरे से विवाह किया है। यह प्रथा आज भी विद्यमान है। वहीं, गुरु नानक ने कभी भी वेदों की निंदा नहीं की। उन्होंने सुझाव दिया कि इन्हें मशीन की तरह पढ़ने के बजाय किसी देवता के अनुभव के साथ पढ़ना चाहिए। गुरु नानक ने सनातन धर्म में प्रचलित रीति-रिवाजों और स्नान पर्वों में कभी कोई अंतर नहीं किया। उन्होंने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि सनातनी हिंदुओं को ईश्वर की उपस्थिति का एहसास होते रहना चाहिए।
यहां तक की द अनब्रेकेबल हिंदू सिख बॉंड में डॉ. अरविंद एस. गोडबोले ने लिखा है, ‘एक अलग धर्म हर तरह से भिन्न होता है। उसके रीति-रिवाज और आचरण अलग होने चाहिए। लेकिन हिंदू और सिखों में ऐसा कोई अंतर नहीं है। सिखों में भी उसी तरह जातिवाद है जैसे हिंदुओं में। हालांकि, गुरु नानक सहित पूरा भक्ति आंदोलन जातिवाद के खिलाफ था। हिंदू और सिख नाखून और मांस की तरह जुड़े हुए हैं।’
हिन्दू-सिख में शादी आम बात
कनाडा के आव्रजन और शरणार्थी बोर्ड ने वर्ष 2022 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट में हिंदू और सिख विवाहों को लेकर भारतीय उच्चायोग के वाणिज्य दूत ने कहा कि, ‘लगभग पंद्रह साल पहले तक सिखों और हिंदुओं के बीच अंतर-धार्मिक विवाह बहुत सामान्य थे। हालांकि, 1984 में…इंदिरा गांधी की उनके सिख सुरक्षा गार्डों ने हत्या कर दी, जिसके बाद हिंदुओं और सिखों के बीच तनाव बढ़ गया।’ कौंसल के अनुसार, भारत में अभी भी सिखों और हिंदुओं के बीच विवाह होते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि कनाडा में सिखों और पंजाबी हिंदुओं की बड़ी आबादी है। दोनों के बीच शादियां भी होती हैं। ये शादियां अधिकतर गुरुद्वारों में होती हैं। हालांकि, ये शादियां सिर्फ लव मैरिज ही नहीं बल्कि अरेंज मैरिज भी होती हैं।
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