बसंत पंचमी का त्योहार शनिवार 5 फरवरी को मनाया जा रहा है। हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को इस त्योहार को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। कहते हैं कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा विधि-विधान से करने पर विद्या और ज्ञान का आर्शीवाद मिलता है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा अराधना कर उनको पीले रंग के फूल, फल, चावल आदि चढ़ाकर प्रसन्न किया जाता है। साथ ही कुछ लोग इस दिन व्रत रखकर भी सरस्वती माता को खुश करने की कोशिश करते हैं। बसंत पंचमी होली की तैयारी की शुरुआत का भी प्रतीक है। इसके 40 दिन बाद होली का त्योहार मनाया जाता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त…
इस बार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि शनिवार 5 फरवरी को है। इसलिए इस दिन ही बसंत पंचमी मनाई जा रही है। पंचमी तिथि सुबह 3 बजकर 47 मिनट से शुरू हुई है और ये अगले दिन यानी रविवार 6 फरवरी को सुबह 3 बजकर 46 मिनट तक जारी रहेगी।
बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और पूर्वाह्न से पहले होती है। बसंत पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 07 मिनट से लेकर 12 बजकर 35 मिनट तक का है। यानि इस बार शुभ मुहूर्त 5 घंटे 28 मिनट तक का रहेगा।
क्यों मनाते हैं बसंत पंचमी?
बसंत पंचमी का त्योहार देवी सरस्वती को समर्पित हैं। मां सरस्वती ज्ञान, संगीत, कला और विद्या की देवी हैं। ऐसी माना -जाता है कि बसंत पंचमी के ही दिन सरस्वती मां का जन्म हुआ था। इस वजह से इस दिन को विद्या की मां सरस्वती की जयंती के तौर पर मनाया जाता है। जिस तरह से धन की देवी लक्ष्मी मां की पूजा दिवाली में करना जरूरी होता है। शक्ति और वीरता की देवी दुर्गा मां की नवरात्रि के दौरान पूजा की जाती है। ठीक उस तरह ज्ञान की देवी देवी सरस्वती की बसंत पंचमी पर पूजा महत्वपूर्ण होती है।
पौराणिक कथा के बारे में जानिए…
वैसे तो बसंत पंचमी से जुड़ी कई पौराणिक कथा हैं। लेकिन आज हम आपको इसकी सबसे प्रचलित कथा के बारे में बताएंगे। एक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी ने जब संसार की रचना की तो उन्होंने मनुष्य से लेकर पेड़-पौधों, जीव-जन्तु तक सबकुछ बनाएं। लेकिन फिर उनको कोई कमी खेलने लगी। उन्हें ऐसा लगा कि रचना में कुछ तो कमी रह गई है। इसके बाद बह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का और इसके बाद एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई, जिनके चार हाथ थे। स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरी में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथ हाथ वर मुद्रा में था। सुंदर स्त्री से बह्मा जी ने वीणा बजाने को कहा। जब उन्होंने वीणा बजाई, तो बह्मा जी की हर चीज में स्वर आ गया। उस दौरान ही बह्मा जी ने इन सुंदर स्त्री को वाणी की देवी सरस्वती का नाम दिया। ये बसंत पंचमी का ही दिन था। इसके बाद से ही हर साल बसंत पंचमी को सरस्वती मां के जन्मदिन के तौर पर मनाने की शुरूआत हुई।
बसंत पंचमी में पीले रंग का महत्व?
बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का काफी महत्व होता है। मां सरस्वती को पीले फूल, पीले फल, पीली मिठाई और चावल का भोग लगाया जाता हैं। यहां तक की कुछ लोग इस दिन पीले वस्त्र भी पहनते हैं। लेकिन पीला रंग ही क्यों? क्यों बसंत पंचमी पर पीले रंग का इतना महत्व होता है?
कहा जाता हैं कि पीला रंग देवी सरस्वती को काफी प्रिय हैं। इसके अलावा इस रंग को सुख, शांति देने वाला और तनाव को दूर करने वाला माना जाता है। बसंत का मौसम आते आते ठंडक कम होने लगती है। इस दौरान मौसम सुहाना हो जाता है। पेड़-पौधों पर नए पत्ते आते हैं। कलियां खिल जाती हैं। सरसों की फसल पककर तैयार हो जाती। इस मौसम में सरसों की फसल की वजह से धरती पीले रंग में रंग जाती है। साथ ही इस दिन में होने की वजह से पीली किरणें पृथ्वी पर आती हैं। इस सबकी वजह से पीले रंग का बसंत पंचमी पर काफी महत्व होता है।
अगर वैज्ञानिक तौर पर देखें तो पीला रंग को वहां भी काफी खास माना जाता है। पीला रंग तनाव दूर करता है और शांति लाता है। साथ ही साथ पीले रंग को आत्मविश्वास बढ़ाने वाला भी माना जाता है।
ऐसे करें बसंत पंचमी के दिन पूजा
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करें। पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुख कर पूजा की शुरुआत करें।
- पीला वस्त्र बिछाकर मां सरस्वती को उस पर स्थापित करें। इस दौरान प्रसाद के रूप में उनके पास रोली, मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा आदि चीजें रखें।
- मां सरस्वती के पैरों में श्वेत चंदन लगाएं।
- पीले और सफेद फूल दाएं हाथ से उनके चरणों में अर्पित करें और “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” का जाप करें।
- गलती से इस दौरान काले या फिर नीले कपड़ों का इस्तेमाल ना करें।
हथेलियों में मां सरस्वती का होता है वास
मान्याताओं के मुताबिक बसंत पंचमी के दिन बिना मुहूर्त के कोई भी शुभ काम किया जा सकता है। इस दिन दिन अबूझ मुहूर्त होता है। शास्त्रों की मानें तो इस दिन कुछ खास काम करने से माता सरस्वती बेहद प्रसन्न होती हैं। कहते हैं कि हमारी हथेलियों में मां सरस्वती का वास होता है। इसलिए बसंत पंचमी के दिन उठने के बाद सबसे पहले अपनी हथेलियां देखने चाहिए। ऐसा करने से मां सरस्वती के दर्शन करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है। इससे माता सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती हैं। विद्या और बुद्धि की प्राप्ति के लिए इस दिन ये काम जरूर करें।
गलती से भी ना करें ये काम…
बसंत पंचमी के दिन कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस दिन कुछ काम करना वर्जित होता है।
- बसंत पंचमी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- मन में किसी के लिए भी गलत भावना ना लाएं।
- अपशब्दों का इस्तेमाल ना करें।
- मांस मदीरा से दूर रहें।
- स्नान से पहले भोजन ना करें।
- पेड़-पौधों को काटने से बचना चाहिए।