द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने के बाद बीजेपी ने फिर एक बड़ा दांव खेलते हुए जाट समाज से आने वाले जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार (Wise President Candidate) बनाते हुए फिर विपक्ष को चारों खाने चित कर दिया है। बता दें , विपक्ष ने अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा बनाया है। जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) अभी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं। बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में जगदीप धनखड़ को राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित किया गया। जगदीप धनखड़ का बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ अक्सर टकराव देखने को मिलता रहता है।
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक करियर
जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) मूल रुप से राजस्थान के रहने वाले है। ये राजस्थान के झुंझुनूं जिले के रहने वाले हैं। जगदीप धनखड़ सांसद भी रह चुके है। इनका जन्म 18 मई 1951 में हुआ था। जगदीप धनखड़ झुंझुनू से बीजेपी से जनता दल से लोकसभा सांसद रह चुके हैं। धनखड़ 1989 – 1991 तक केंद्रीय मंत्री रहे। धनखड़ ने वकालत की पढ़ाई की है। ये पश्चिम बंगाल के 27 वें राज्यपाल हैं। धनखड़ ने अपनी पढ़ाई सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ से की है। धनकड़ ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से ही ग्रेजुएशन किया है। ये राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके है। धनखड़ का राजस्थान में जाट आरक्षण की लड़ाई में भी अहम रोल रहा है। जनता दल से बाद में धनखड़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इन्होनें कांग्रेस के टिकट पर अजमेर से चुनाव भी लड़ा। लेकिन वो अजमेर लोकसभा का चुनाव हार गए। फिर बाद में वो अजमेर जिले की ही किशनगढ़ लोकसभा सीट से विधायक बनने में सफल रहे। साल 2003 में धनकड़ बीजेपी में शामिल हो गए।
बीजेपी ने क्यों खेला धनखड़ पर दांव
जब से बीजेपी ने धनखड़ का नाम उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में ऐलान किया। तब से सभी लोग यहीं सोच रहें हैं कि आखिर बीजेपी ने धनकड़ पर क्यों इतना बड़ा दांव खेला? दरअसल जयदीप धनकड राजस्थान के किसान परिवार से आते हैं और जाट समुदाय से भी आते हैं। मोदी सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन में जाट किसान भी बड़ी तादाद में शामिल थे। राजस्थान में जाट वोटरों और किसानों की तादात बहुत ज्यादा हैं, जो चुनावी नतीजों पर काफी असर डालते हैं। यहां गौर करने वाली बात यह है कि धनखड़ की उम्मीदवारी का एलान करते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें ‘किसान पुत्र’ कह कर संबोधित किया और एक बड़ा राजनीतिक संदेश दे दिया, जिसका कनेक्शन सीधा आने वाले 2023 में राजस्थान और 2024 में हरियाणा विधानसभा चुनाव पर दिख सकता है। वैसे भी धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के पीछे बीजेपी की राजस्थान चुनाव में जीत की मंशा है और किसान आंदोलन को लेकर किसानों के गुस्से पर मलहम लगाना है। अगर कृषि बिल को लेकर भी आवाज उठेगी तो एक ऐसी आवाज जो किसानों से बात कर सकेगी। धनखड़ एक अच्छी छवि वाले किसान नेता हैं और राजस्थान-हरियाणा की जनता पर विशेष पकड़ रखते हैं।
सही पसंद हैं धनखड़ – वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक
देश के बड़े और वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक (Ved Pratap Vaidik) ने NDA के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार जयदीप धनखड़ को एक दम सही पसंद बताते हुए कहा है कि ‘जयदीप धनकड़ (Jagdeep Dhankar) एक जाट समाज से हैं और किसान नेता हैं। धनकड़ पिछड़े वर्ग से भी आते हैं’। उनके पास राजनीति का अच्छा अनुभव रहा है। वो किसान नेता रहें , कैबिनेट मंत्री रहें, सांसद रहें, विधायक रहें, यहां तक कि राज्यपाल भी हैं। कुल मिलाकर उनके उपराष्ट्रपति बनने से एक अच्छा सन्देश जायेगा। क्यूंकि धनखड़ को देश की जनता ने हर भूमिका में पसंद किया है। एक और बात जैसे द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने से देश का आदिवासी समाज खुश हैं और सोच रहा हैं कि ”अब हम में से भी लोग निकल कर भारत के बड़े पद पर जा सकते हैं, ठीक उसी तरफ देश का पिछड़ा समाज भी धनकड़ को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाएं जाने पर खुश हैं और वहीं सोच रहा हैं”। बीजेपी ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में इन दोनों का नाम पटल पर लेकर देश की राजनीति को एक नए आयाम देने की कोशिश की हैं।