राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के चिंतन शिविर पर सवाल उठाए है। प्रशांत किशोर ने पहली बार इस पर टिप्पणी की है। पीके ने कहा कि कांग्रेस को चिंतन शिविर से कुछ भी नहीं मिला।
दरअसल, कांग्रेस ने चिंतन शिविर के जरिये एक बार फिर मजबूती से वापसी करने के लिए राजस्थान के उदयपुर में मंथन किया। लेकिन इस मंथन को लेकर प्रशांत किशोर का बड़ा बयान सामने आया है। पीके का कहना है कि उनसे लगातार चिंतन शिविर को लेकर सवाल किए जा रहे है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के चिंतन शिविर से कुछ भी हासिल नही हुआ। हालांकि कांग्रेस नेतृत्व को कम से कम गुजरात और हिमाचल में चुनावी हार तक मौजूदा मुद्दों को टालने का समय मिल गया है।
PK ने क्या कहा ?
प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया है, “मुझसे लगातार उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर के परिणाम पर टिप्पणी करने को कहा जा रहा है। मेरे विचार यह चिंतन शिविर से मौजूदा स्थिति को बढ़ाने और कांग्रेस नेतृत्व को कुछ और समय देने के अलावा कुछ भी सार्थक हासिल करने में असफल साबित रहा है।”
चिंतन शिविर पर फोकस क्यों?
कांग्रेस के आयोजित किए गए इस चिंतन शिविर में पार्टी के लगभग 430 नेता शामिल हुए। इसकी शुरूआत 13 मई से की गई। 3 दिन के शिविर में पार्टी नेताओं को समूहों में बांटा गया था और उन्होंने ‘पार्टी को कैसे मज़बूत करें, क्या नया किया जाए’ ऐसे विषयों पर चर्चा की। बता दें कि चिंतन शिविर का जरूरी फ़ोकस पार्टी नेतृत्व में आज के युवाओं को जगह देने और देश को फिर से पार्टी के साथ जोड़ने पर रहा।
गौरतलब है कि आज़ादी के बाद से देश में कांग्रेस सबसे लंबे समय तक सत्ता पर काबिज रहने वाली और देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी अब ऐसी स्थिती में है कि मौजूदा राजनीतिक हालात में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है।
PK ने कांग्रेस में एंट्री को लेकर क्या कहा?
वहीं कांग्रेस के ऐसे हालात को देखते हुए माना जा रहा था कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल हो सकते है। लेकिन उनकी कांग्रेस के साथ बात नही बनी।
इसी बारे में ट्वीट करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि “मैंने ईएजी (एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप) के हिस्से के रूप में पार्टी में शामिल होने और चुनावों की ज़िम्मेदारी लेने के कांग्रेस के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। मेरी विनम्र राय ये है कि मुझसे ज़्यादा पार्टी को नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की ज़रूरत है ताकि परिवर्तनकारी सुधारों के माध्यम से संरचनात्मक समस्याओं को ठीक किया जा सके, जिसकी जड़ें काफ़ी गहरी हैं।”
गौरतलब है कि कांग्रेस से बात ना बनने के बाद प्रशांत ने बिहार में 3000 किमी पदयात्रा निकालने का ऐलान किया। इस दौरान में बिहार के मुद्दों को समझेंगे। ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि प्रशांत किशोर नई पार्टी बनाने जा रहे है। वहीं प्रशांत ने साफ कर दिया है कि वे फिलहाल पार्टी नही बना रहे। केवल बिहार के राजनीतिक और सामाजिक जीवन से जुड़े लोगों को मिलने पर फोकस है।