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भाजपा द्वारा राहुल गांधी पर लगाए गए आरोपों पर क्यों भड़क उठा अमेरिका? जानें क्या है ये पूरा विवाद  

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Rahul Gandhi Controversy: भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। भाजपा नेताओं ने दावा किया कि राहुल गांधी भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं और उनके कुछ अंतरराष्ट्रीय रिश्ते देश के खिलाफ साजिश कर सकते हैं। विवाद में एक नया मोड़ तब आया जब अमेरिका ने सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया दी और भाजपा के आरोपों को “निराशाजनक” बताया।

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BJP ने गंभीर आरोप लगाए

बीजेपी सांसद के. लक्ष्मण (BJP MP K.K. Laxman) और संबित पात्रा (BJP MP Sambit Patra) ने राहुल गांधी को फ्रांसीसी मीडिया इंस्टीट्यूट ‘मीडियापार्ट’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए निशाना बनाया। पात्रा ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी का अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस और कुछ अमेरिकी संगठनों के साथ संबंध है, जो भारत में अस्थिरता फैलाने और बिजली परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि यह कथित तिकड़ी भारत में सरकार के खिलाफ असंतोष को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही थी।

BJP MP Sambit Patra, Rahul gandhi
Source: Google

इससे पहले भाजपा सांसद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था, “जब कोई मुद्दा नहीं होता है तब आप अपने मुद्दे गढ़ते हो और ऐसे मुद्दे गढ़ते हो जो देश के विरोध में हो और पूरे विश्वपटल पर देश को बदनाम करने की कोशिश होती है। यही राहुल गांधी कर रहे हैं, इसलिए मैंने उन्हें देशद्रोही कहा। जो अपने देश को बदनाम करते हैं, तथ्यों के आधार पर नहीं बल्कि झूठ बोलकर बदनाम करते हैं… उसे देशद्रोही नहीं तो क्या कहेंगे।” उन्होंने कहा, “मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि वह (गांधी) देशद्रोही हैं।”

पात्रा ने बोला राहुल गांधी पर हमला- Rahul Gandhi Controversy

पात्रा ने कहा कि जुलाई 2021 में OCCRP की एक रिपोर्ट के बाद गांधी ने सरकार पर हमला किया कि ब्राजील ने एक निजी भारतीय फर्म द्वारा तैयार कोविड वैक्सीन कोवाक्सिन के लिए $ 32.4 मिलियन का आदेश रद्द कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह भारत की छवि को धूमिल करने का एक प्रयास है और कांग्रेस नेता ने रिपोर्ट के आधार पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जबकि ऑर्डर को जून में ही रद्द कर दिया गया था।

अमेरिका का बयान

अमेरिका ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और भाजपा के आरोपों को “निराशाजनक” कहा। अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने शनिवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि भारत की सत्तारूढ़ पार्टी इस तरह के आरोप लगा रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि स्वतंत्र संगठनों के साथ अमेरिका पत्रकारों की क्षमता निर्माण और व्यवसाय विकास के लिए काम करता है, लेकिन इन संगठनों के संपादकीय निर्णयों या दिशाओं को प्रभावित नहीं करता है।

अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, “अमेरिकी सरकार लंबे समय से दुनिया भर में मीडिया स्वतंत्रता का समर्थन कर रही है।” इसका मतलब यह है कि कोई भी अमेरिकी संगठन, जैसे कि OCCRP (ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट), किसी भी तरह से भारतीय राजनीति या मीडिया पर दबाव नहीं डालती है।

‘MediaPart’ रिपोर्ट और इसका प्रभाव

विवाद तब शुरू हुआ जब 2 दिसंबर को फ्रांसीसी मीडिया इंस्टीट्यूट द्वारा ‘मीडियापार्ट’ नामक एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि जॉर्ज सोरोस ने OCCRP को वित्त पोषित किया था। हालांकि, सरकारी सूत्रों ने कहा कि यह रिपोर्ट भारत की विकास यात्रा पर एक गुप्त हमला है।

बीजेपी नेताओं ने इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी पर भारत को अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। इस रिपोर्ट के बाद, भाजपा नेताओं ने इसे देश के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय साजिश कहा।

अमेरिकी प्रतिक्रिया

अमेरिकी प्रतिक्रिया ने मामले को और भी गर्म कर दिया। अमेरिकी दूतावास ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके कार्यक्रम मीडिया अधिकारों और स्वतंत्रता का समर्थन करने के लिए किसी भी देश की राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करते हैं।

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