यूपी की सियासत में टोंटी चोर कहानी की शुरुआत साल 2018 में हुई थी. और टोंटी चोर की उत्पति ने यूपी की सियासत को हिला कर रख दिया था. क्योंकि 2017 के चुनाव हारने पर सपा के चीफ अखिलेश यादव को प्रधानमंत्री आवास खाली करने पड़ा, और उस घर से विदाई के साथ उन पर टोंटी चोरी, टाईल्स तोड़ने, पार्क उखाड़ने और घर से सामान ले जाने के इल्जाम लगे थे. लेकिन सवाल ये है कि ये इल्जाम क्यों लगे? और किसने लगाएं? कैसे टोंटी चोरी का मामला इतना बड़ा हो गया? आईये हम आपको पूरा मामला समझाते है.
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क्या है पूरा मामला
14 जून 2018 को, अखिलेश यादव प्रेस कांफ्रेंस में अपने हाथ में टोंटी लेकर पहुंचे. और बीजेपी द्वारा लगाएं गए आरोपों पर पलटवार किया. जिसमें बीजेपी ने अखिलेश यादव पर घर से टोंटी चोरी करने के आरोप लगाएं थे. 2017 के चुनाव हारने पर अखिलेश यादव को प्रधानमंत्री आवास खाली करने पड़ा, जिसके बाद, उनके ऊपर घर में तोड़-फोड़, घर से सामान ले जाने और टोंटी चोरी के इल्जाम लगे थे. इन आरोपों पर अखिलेश यादव पहली बार बोले थे. और उन्होंने कहा कि “लैपटॉप देने वाले टोंटी चोरेंगे क्या?” और बीजेपी के इल्जामों को बेबुनियाद बताया.
बीते दिन, प्रेस कांफ्रेस में जब एक पत्रकार ने सपा के चीफ अखिलेश यादव सवाल किया कि ‘आपके ऊपर टोंटी चोर का आरोप लगा था”. अखिलेश यादव ने पुछा किसने कहा था? पत्रकार में जवाब ने कहा कि योगी आदित्यनाथ जी ने. जिसके बाद अखिलेश यादव ने कहा कि ऐसे मत बोलो… पत्रकार में तुम्हे ऐसे बोलने लगा तो? तुम बीजेपी के एजेंट हो? अखिलेश यादव ने पत्रकार से उसका पुरा नाम पुछा… पत्रकार ने अपना नाम नूर काजी बताया… अखिलेश यादव ने कहा कि मुसलमान होकर तुम्हारी भाषा मुसलमान जैसी नहीं लगती… तुम बिके हुए पत्रकार हो… ऐसे लोग पत्रकारिता करेंगे? इसकी फोटो लो…
जिसके बाद सपा ने अपने अधिकारिक एक्स हैंडल से ट्विट करके उस पत्रकार को अपराधी बताया, सपा ने लिखा कि “मध्य प्रदेश के अजयगढ़ में पन्ना विधानसभा की सभा में माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी की प्रेस वार्ता में पत्रकार के भेष में पहुंचा अपराधिक किस्म का संदिग्ध व्यक्ति।“ मध्य प्रदेश पुलिस जांच करे और बताए ये अपराधी प्रेस वार्ता में कहां से आया?
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