Who is Lovely Khatun: पश्चिम बंगाल के मालदा जिले की रशीदाबाद ग्राम पंचायत की मुखिया लवली खातून की नागरिकता को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। उन पर आरोप है कि वे बांग्लादेशी अप्रवासी हैं और अवैध रूप से भारत में बिना पासपोर्ट के दाखिल हुई थीं। इसके साथ ही, उनके नाम और दस्तावेजों को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। यह मामला अब कलकत्ता हाई कोर्ट तक पहुंच चुका है, जिसने संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है।
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कौन हैं लवली खातून? (Who is Lovely Khatun)
रशीदाबाद ग्राम पंचायत की प्रधान लवली खातून पर झूठ बोलने का आरोप है क्योंकि उनका असली नाम नासिया शेख है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने 2015 में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारत में आधार कार्ड बनवाया था। उन्होंने 2018 में जन्म प्रमाण पत्र भी बनवाया था। उन पर पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अपनी पहचान बदलने और सरकारी रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करने का आरोप है।
चुनाव जीतने के बाद टीएमसी में शामिल
लवली खातून ने 2022 के पंचायत चुनाव में कांग्रेस-वाम गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। टीएमसी की उम्मीदवार रेहाना सुल्ताना ने उनके खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं। चुनाव जीतने के एक-दो महीने बाद लवली खातून टीएमसी में शामिल हो गईं।
रेहाना सुल्ताना की याचिका
2024 में, रेहाना सुल्ताना ने कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उनके वकील अमलान भादुड़ी ने आरोप लगाया कि लवली खातून ने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर अपनी पहचान बदली और चुनाव लड़ा।
दस्तावेजों में हेराफेरी के आरोप
याचिकाकर्ता के अनुसार, लवली खातून ने आधार कार्ड, वोटर आईडी, और ओबीसी प्रमाणपत्र में हेराफेरी की। उन्होंने पड़ोसी गांव में एक व्यक्ति से अपने पिता के नाम के लिए सहमति ली। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NRC) में उनके नाम का कोई जिक्र नहीं है।
पड़ोसी गांव में पिता बनाने का आरोप
याचिका के अनुसार, लवली खातून ने अपने असली पिता जमील बिस्वास का नाम छिपाकर पड़ोसी गांव के शेख मुस्तफा को अपना पिता बताया। स्थानीय लोगों ने इस बात की पुष्टि की है कि शेख मुस्तफा के परिवार में लवली खातून का कोई उल्लेख नहीं है।
हाई कोर्ट का दखल
कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों, खासकर SDO, से रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट यह जांच कर रही है कि क्या लवली खातून के चुनाव में हिस्सा लेने और पंचायत प्रमुख बनने की पात्रता वैध थी या नहीं।
बांग्लादेशी अप्रवासियों की समस्या
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब हाल ही में बांग्लादेशी नागरिकों के फर्जी दस्तावेजों के जरिए पासपोर्ट बनाने के आरोप में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह घटना पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी अप्रवासियों और उनकी फर्जी पहचान से जुड़े मामलों की गंभीरता को उजागर करती है।
क्या होगा आगे?
लवली खातून के मामले ने राजनीतिक और कानूनी हलकों में हलचल मचा दी है। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो उनकी पंचायत प्रमुख की कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। इसके आलवा यह मामला बांग्लादेशी अप्रवासियों और फर्जी दस्तावेजों से जुड़े व्यापक मुद्दों पर भी रोशनी डालता है।