कौन हैं मनीष कुमार वर्मा जो भड़गड़ के समय अपने बेटे का जन्मदिन मना रहे थे लेकिन अब बनेंगे नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी?

Who is Manish Kumar Verma who become Nitish Kumar successor
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ‘नौकरशाहों के प्रति प्रेम’ जगजाहिर है। इसी प्रेम को देखते हुए बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। दरअसल, पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा ने मंगलवार (09 जुलाई) को नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में एंट्री कर ली है। वीआरएस लेकर नौकरी छोड़ने वाले आईएएस मनीष कुमार वर्मा ने अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ अपना राजनीतिक सफर शुरू कर दिया है। अब उन्हें जेडीयू में आरसीपी सिंह के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। इससे पता चलता है कि नीतीश कुमार राजनेताओं से ज्यादा नौकरशाहों पर भरोसा करते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कौन हैं मनीष कुमार वर्मा।

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मनीष वर्मा नालंदा के कुर्मी हैं और कथित तौर पर नीतीश के दूर के रिश्तेदार हैं। मंगलवार को आजीवन कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने मनीष वर्मा को आजीवन सदस्यता दिलाई। इसके बाद चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि मनीष वर्मा नीतीश के उत्तराधिकारी होंगे। बिहार में शामिल होने के बाद मनीष वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को अंधकार से निकालकर उजाले में ला दिया है। मनीष कुमार वर्मा ने आगे कहा कि पहले मैं नीतीश जी के दिल में था और अब उनकी पार्टी में शामिल हो गया हूं। यहां मौजूद सभी नेताओं से मुझे कुछ न कुछ सीखने का मौका मिला है।

 

कौन है मनीषा वर्मा?

मनीष कुमार वर्मा बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले हैं। नीतीश कुमार भी यहीं से हैं। 50 वर्षीय मनीष वर्मा ने बिहारशरीफ के सरकारी स्कूल से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने आईआईटी दिल्ली से सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री हासिल की।

मनीष 2000 में आईएएस में शामिल हुए और उन्हें ओडिशा कैडर में नियुक्त किया गया। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने ओडिशा के अकालग्रस्त क्षेत्र कालाहांडी में काम किया और बाद में मलकानगिरी के डीएम नियुक्त किए गए। नीतीश ने उन्हें 2012 में अंतर-राज्यीय असाइनमेंट पर बिहार भेजा और उन्हें पूर्णिया और पटना का डीएम नियुक्त किया। मनीष की प्रतिनियुक्ति 2017 में समाप्त हो गई, हालांकि उन्हें एक साल का विस्तार दिया गया।

2018 में भारत सरकार ने उनसे ओडिशा लौटने का अनुरोध किया, लेकिन मनीष ने 18 साल की सेवा के बाद इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति नहीं ली क्योंकि उन्हें 20 साल की सेवा के बाद ही वीआरएस मिल सकता था। मनीष को इस्तीफे के बाद पेंशन नहीं मिली, लेकिन नीतीश ने जल्दी ही उन्हें बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में नियुक्त कर दिया। 2022 में नीतीश ने उनके लिए एक नया पद सृजित किया और उन्हें मुख्यमंत्री का अतिरिक्त सलाहकार नियुक्त किया।

Manish kumar verma
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भगदड़ के समय बेटे का बर्थड़े माना रहे थे मनीष

मनीष का सबसे मुश्किल दौर 2014 में पटना के डीएम रहते हुए आया। ऐतिहासिक गांधी मैदान में रावण दहन के दौरान मची भगदड़ में 33 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज़्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। बताया जाता है कि घटना के समय मनीष मौर्य होटल में अपने बेटे का जन्मदिन मना रहे थे। इसके बावजूद बिहार सरकार ने उनके खिलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे संकेत मिलता है कि उनकी नीतीश से दोस्ती ने उन्हें बचा लिया।

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