Who is Indrajeet Saroj: उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी (SP) के विधायक इंद्रजीत सरोज इन दिनों एक विवादास्पद बयान को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने हाल ही में हिंदू देवी-देवताओं को लेकर एक ऐसा बयान दिया, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया। उनके बयान में कहा गया कि यदि भारत के मंदिरों में ताकत होती, तो मोहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनवी और मोहम्मद गोरी जैसे लुटेरे देश में नहीं आते। इस बयान के बाद इंद्रजीत सरोज सुर्खियों में आ गए हैं। लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब वह चर्चा में आए हैं। इससे पहले 2024 में उनके बेटे पुष्पेंद्र सरोज ने देश के सबसे युवा सांसद बनने का रिकॉर्ड भी तोड़ा था।
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इंद्रजीत सरोज का राजनीतिक सफर- Who is Indrajeet Saroj
इंद्रजीत सरोज का जन्म 1 जनवरी 1963 को उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले के नगरेहा खुर्द गांव, पश्चिम शरीरा में हुआ था। उनका परिवार एक किसान परिवार था, और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद 1985 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। छात्र जीवन से ही इंद्रजीत सरोज सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय हो गए थे। वे बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों से प्रेरित थे, जिसका असर उनके राजनीतिक सफर पर पड़ा।
बहुजन समाज पार्टी से शुरुआत
इंद्रजीत सरोज ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत बहुजन समाज पार्टी (BSP) से की थी। कांशीराम के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने BSP में काम करना शुरू किया। 1996 में मंझनपुर विधानसभा सीट से उन्होंने BSP के टिकट पर चुनाव लड़ा और पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद, वे लगातार 2012 तक इस सीट से विधायक चुनते रहे। इस दौरान वे BSP सरकार में तीन बार कैबिनेट मंत्री बने। उन्हें मायावती का करीबी सहयोगी माना जाता था।
मायावती से मतभेद और समाजवादी पार्टी में शामिल होना
2017 के विधानसभा चुनाव में इंद्रजीत सरोज को बीजेपी के लाल बहादुर से हार का सामना करना पड़ा, और उन्हें 4,160 वोटों से शिकस्त मिली। इसके बाद, BSP में उनके और मायावती के बीच मतभेद बढ़ गए, और 2018 में उन्होंने BSP छोड़ दी। फिर उन्होंने समाजवादी पार्टी (SP) का दामन थाम लिया। सपा में शामिल होने के बाद, इंद्रजीत सरोज को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। उन्होंने अखिलेश यादव के प्रमुख रणनीतिकारों में अपनी जगह बनाई और सपा के चुनावी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई। 2019 में, उन्होंने कौशांबी लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन वे बीजेपी के विनोद सोनकर से करीब 38,000 वोटों से हार गए। फिर 2022 में उन्होंने मंझनपुर विधानसभा से फिर से सपा के टिकट पर जीत हासिल की और अब वह विधानसभा में सपा के उप नेता हैं।
बेटे पुष्पेंद्र सरोज की सफलता
इंद्रजीत सरोज की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि उनके बेटे पुष्पेंद्र सरोज के राजनीति में उदय से जुड़ी है। 1 मार्च 1999 को जन्मे पुष्पेंद्र सरोज ने 2024 के लोकसभा चुनाव में देश के सबसे युवा सांसद बनने का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। पुष्पेंद्र ने अपनी स्कूली शिक्षा देहरादून के प्रतिष्ठित वेलहम बॉयज स्कूल से की, जहां उन्होंने कॉमर्स में 89% अंक प्राप्त किए। इसके बाद, उन्होंने लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी से अकाउंटिंग और मैनेजमेंट में बीएससी की डिग्री हासिल की।
पुष्पेंद्र सरोज ने 2024 में कौशांबी लोकसभा (सुरक्षित) सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और बीजेपी के मौजूदा सांसद विनोद सोनकर को 1,03,944 वोटों के अंतर से हराकर शानदार जीत हासिल की। इस जीत ने न केवल उनके पिता की 2019 की हार का बदला लिया, बल्कि पुष्पेंद्र को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दिलाई। उनके इस राजनीतिक कदम ने परिवार की राजनीतिक धारा को और भी मजबूत किया।