1993 में, उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में किस भी पार्टी को बहुतम नहीं मिल था. भारतीय जनता पार्टी 425 सीटों में से 174 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी रही, लेकिन बसपा और सपा ने गठबंधन सरकार बनाई थी. बात उस समय कि है, जब उत्तर प्रदेश में आठवीं बार 18 अक्टूबर 1995 से 17 अक्टूबर 1996 तक राष्ट्रपति शासन लगा था. उत्तर प्रदेश में विधानसभा को 18 अक्टूबर 1995 को निलंबित किया, और 27 अक्टूबर 1996 विधानसभा को भंग. उस समय उडती-उडती खबरें आ रही थी कि बहुजन समाज पार्टी और बीजेपी में कुछ सांठ-गांठ हो रही है. इसी मामले को कवर करने गए ABP न्यूज़ के पत्रकार आशुतोष को बहुजन समाज पार्टी के वरिष्ठ नेता कांशीराम ने थप्पड़ जड़ा था. सोचने की बात है ऐसे क्या कारण रहा होगा, जो बहुजन समाज पार्टी के वरिष्ठ नेता कांशीराम एक पत्रकार को कैसे थप्पड़ मारा. आज हम आपके लिए इस घटना से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य लाएं है जो झुपे हुए थे.
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क्या था पूरा मामला?
ABP न्यूज़ के पत्रकार आशुतोष ने आपने एक इंटरव्यू में बताया कि जब बहुजन समाज पार्टी और बीजेपी के मिलने की बातें आ रही थी, उस समय हम मीडिया वाले रोज वहां जाकर बैठ जाते थे कि एक दो इंटरव्यू मिल जाएंग. कभी कोई इंटरव्यू मिला कभी नहीं. एक दिन वहां बीजेपी पार्टी के नेता सूर्यभान सिंह आए और मैंने जल्दी से उनके आगे कैमरा लगाया, और सवाल पूछना शुरू किया. उसी समय कांशीराम भी बाहर आए… उस समय मीडिया को लेकर ऐसी सोच थी टीवी, कैमरा वाले रोज यहां आकर बैठ जाते है… कोई मर भी रहा हो तो भी माईक आगे करके पूछना शुरू कर देते है. कांशीराम के बाहर आते ही मैंने आपना माईक आगे करके पुछा कि सर क्या बात हुई? उन्होंने गुस्से में बोला ‘इसने मेरा जीना हराम कर दिया है’ और एक दम से थप्पड़ मारा. पत्रकार आशुतोष ने बताया कि बस कांशीराम के थप्पड़ मारने की देर थी फिर वहां मौजूद सभी बसपा सदस्यों में मेरे कपड़े फाड़ने शुरू कर दिए थे. और बहुत बड़ा हंगामा हुआ.
जिसने बाद बहुत सारे पत्रकारों ने इकठा होकर प्रदर्शन किया, पत्रकारों पर लाठी चार्ज भी हुआ, हम बहुत सारे लोगों से मिले. इस खबर को भी मीडिया ने काफी बड़ा बना दिया था. कि कांशीराम ने पत्रकार को थप्पड़ जड़ा, कांशीराम मीडिया को दबाना चाहते है.. जैसी खबरे मीडिया में चलने लगी थी, लेकिन ऐसा था नहीं.
पत्रकार आशुतोष ने बताया कि कांशीराम ने ये सोच समझ कर नहीं किया था, वह गुस्से में थे और उनसे गुस्से में ऐसा हुआ था, बाद में उन्होंने मुझे गले मिलकर कहा था कि कुछ पर्सनल नहीं था, जिसके बाद आगे हम एक दूसरे के साथ काफी अच्छे से रहे. उसके बाद बसपा के किसी भी नेता ने आज तक मेरे साथ कोई बतमीजी नहीं की है. कांशीराम एक अच्छे और महान नेता थे, उनसे गलती हुई लेकिन उन्होंने कभी उसे पर्सनल नहीं बनाया था. मैं भी बसपा कवर करता रहा.
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