उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अब बेहद नजदीक है, जिसको लेकर सभी पार्टियों में सत्ता हासिल करने की जंग छिड़ी है। एक ओर चुनावों को लेकर यूपी की राजनीति पहले से ही तेज है। इस बीच चुनाव से पहले राज्य में इनकम टैक्स विभाग की दस्तक से सियासत और गर्मा गई। दरअसल, बीते दिनों समाजवादी पार्टी के नेताओं के ठिकानों पर आईटी ने रेड मारी। इस रेड को यूपी चुनावों से जोड़कर देखा जाने लगा। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इनकम टैक्स विभाग की छापेमारी को लेकर कहा था कि ये कार्रवाई चुनाव से ठीक पहले जानबूझकर की गई है।
सपा नेताओं पर आईटी की चार दिन तक चली छापेमारी पूरी हो गई। इस छापेमारी में विभाग को लगभग 86 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला है। इसको लेकर वित्त मंत्रालय की तरफ से एक बयान जारी किया गया, जिसमें बताया कि की लखनऊ, मैनपुर, कोलकाता, बेंगलुरु और एनसीआर के 30 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी, जिसमें कई अहम दस्तावेज और डिजिटल डेटा को भी बरामद किया गया है।
18 दिसंबर को आयकर विभाग ने उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के कई इलाकों में छापेमारी करना शुरू किया था, जिसमें आयकर विभाग ने मऊ में राजीव राय, मैनपुरी में मनोज यादव और लखनऊ में जैनेंद्र यादव के घर पर भी सर्च ऑपरेशन चलाया था। साथ ही कोलकाता के एक एंट्री ऑपरेटर के घर पर भी छापा मारा था। अधिकारियों के मुताबिक कंस्ट्रक्शन के बिजनेस में शामिल कंपनियों में करोड़ों रुपयों के कई फर्जी खर्च की जानकारी मिली। इनके पास से खाली बिल बुक, स्टांप, साइन किए चेक के साथ और भी कई दस्तावेज मिले हैं, जिनको जब्त किया गया।
इस छापेमारी में आयकर विभाग को सपा नेताओं के ठिकानों से 86 करोड़ रुपये की अघोषित आय के सबूत मिले, जिसमें से 68 करोड़ रुपये की अघोषित आय को कबूल भी लिया गया है। साथ ही नेताओं के ठिकानों पर हुई छापेमारी में इनकम टैक्स विभाग ने 1.12 करोड़ का कैश बरामद किया। बेंगलुरु के ठिकाने से उल्लंघन कर 80 लाख रुपये का दान के सबूत भी मिले। साथ ही साथ विभाग को 12 करोड़ का अघोषित निवेश और 3.5 करोड़ की बेनामी संपत्ति मिली। अधिकारियों के अनुसार कंपनियों ने 408 करोड़ रुपये के फर्जी शेयर की एंट्री थी। कंपनियों के जरिए 154 करोड़ रुपये का फर्जी लोन भी दिया गया।