गृहमंत्री अमित शाह के चुनाव प्रचार की शुरुआत कैराना सीट से बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है। व्यापारियों की हत्या के बाद शुरू हुए पलायन का मुद्दा बीजेपी के स्वर्गीय सांसद हुकुम सिंह ने मई 2016 में उठाया था। ये मुद्दा पूरे देश में राष्ट्रीय स्तर पर गूंजा था।
फिर पलायन की पुष्टि होने पर बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा बना था। कहा जाता है कि पलायन के मुद्दे से ही यूपी में बीजेपी सत्ता में आई थी। बीजेपी ने इसे अपने चुनावी एजेंडे में शामिल किया था. 2018 में कैराना के उपचुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ ने शामली में हुई। रैली में पलायन के मुद्दे को उठाते हुए कैराना और कांधला के बीच पीएसी कैंप और फायरिंग रेंज बनाने की घोषणा की थी। बाद में प्रदेश में भाजपा सरकार बनने पर कुख्यात मुकीम काला और साथी साबिर जंधेड़ी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
राजनीतिक के सभी दलो को कैराना सींट का इतिहास सबसे ज्यादा मोटा फायदा देता है। कहा जाता है कि कैराना के सिर पर सुर-संगीत का ताज है तो कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर वह बदनाम भी है। इस सीट पर बीजेपी की एंट्री 1996 में हुई। इससे पहले यहां बीजेपी का नामो-निशान नहीं था। हुकुम सिंह जब कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए तो ये सीट बीजेपी को तोहफे में मिलने लगी। हुकुम सिंह चार बार बीजेपी के टिकट पर कैराना सीट जीते।
गृहमंत्री अमित शाह का दौरा उसी टीचर्स कॉलोनी से शुरू हुआ, जहां के लोगों ने किसी वक्त हुकुम सिंह से खराब कानून-व्यवस्था की शिकायत की थी। तभी वहां पलायन का मुद्दा गर्माया था। पलायन को मुद्दा बनाने वाले बाबू हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को भाजपा ने फिर टिकट दिया है। सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी नाहिद हसन के जेल जाने के बाद उनकी बहन इकरा हसन ने भी पर्चा भरा है। 2017 की तरह ही कैराना भाजपा और सपा के बीच संग्राम के आसार हैं।