गोवा के पूर्व सीएम और देश के पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) के बेटे सुर्खियों में है। पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर (Utpal Parrikar) ने अपना दर्द बयां किया जिसमें उन्होंने बीते शनिवार को कहा कि उनका बीजेपी (BJP in Goa) छोड़ने का फैसला उनके लिए कठिन था।
पर्रिकर ने कहा कि अगर पणजी सीट (Panaji Seat) से भाजपा किसी अच्छे प्रत्याशी को टिकट दे तो वह निर्दलीय प्रत्याशी (Independent Candidate) के तौर पर चुनाव लड़ने का अपना फैसला वापस ले सकते हैं। उत्पल पर्रिकर ने हाल ही में बीजेपी छोड़ा है और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में गोवा की पणजी सीट से चुनाव में उतरे हैं। उनको बीजी ने टिकट नहीं दिया। पिता की परंपरागत विधानसभा सीट पणजी रही है। मनोहर पर्रिकर ने दो दशक से ज्यादा यहां से चुनाव लड़ा है।
पणजी सीट से मौजूदा विधायक है एंटेनासियो मोनसेराटे जिसको भाजपा ने फिर टिकट दिया है। जुलाई 2019 में कांग्रेस छोड़कर मोनसेराटे समेत 10 विधायकों ने भाजपा जॉइन किया था। पणजी के मौजूदा विधायक पर कई केस दर्ज हैं इनमें से एक नाबालिग लड़की से रेप करने का भी केस दर्ज है।
2019 में भी टिकट नहीं मिला
मनोहर पर्रिकर के निधन की वजह से साल 2019 के पणजी सीट खाली हुआ जिस पर उपचुनाव हुआ जिसके बारे में जिक्र करते हुए उत्पल ने कहा है कि तब भी उन्हें टिकट नहीं दिया गया। जनता के समर्थन के बाद भी टिकट नहीं दिया गया। तब मैंने पार्टी में विश्वास रखा और फैसले का मान रखा।
उत्पल पर्रिकर का कहना है कि भाजपा गोवा में एक संगठन के तौर पर कमजोर हो रही है। जब नड्डाजी यानी भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा गोवा आए थे तो अगले महीने के चुनावों के लिए पांच दंपतियों ने पार्टी का टिकट मांगा। मनोहर पर्रिकर जीवित होते अगर तो एक भी पुरुष नेता अपनी पत्नि के लिए टिकट मांगने की हिम्मत नहीं रखता।