14 साल बाद भाजपा नेता रहे मुखिया गुर्जर (Mukhiya Gurjar) ने सपा में वापसी की है। तो वहीं सपा ने भी अमरोहा की हसनपुर विधानसभा सीट (Amroha Hasanpur Seat) से उनको टिकट दे दिया। सिंबल भी दिया जा चुका है। मुखिया बीजेपी का पुराना चेहरा माने जाते रहे हैं और अक्सर ही विवादों में रहे हं। मुखिया के बेटे कुलविंदर सिंह मेरठ से बीजेपी की तरफ से जिला पंचायत अध्यक्ष रहे हैं। इतना ही नहीं पथिक सेना के नाम से अपना एक संगठन भी चला रहे हैं।
वह इससे पहले सपा के टिकट पर बागपत लोकसभा सीट से दो बार चुनाव भी लड़े हैं। बागपत जिले की खेकड़ा विधानसभा सीट से भी उन्होंने सपा की ओर से चुनाव लड़ा था। राजस्थान में अलवर जिले की बानसूर विधानसभा सीट से भी वे मैदान में उतर चुके हैं।
बीजेपी की तरफ से मुखिया के बेटे कुलविंदर सिंह जिपं अध्यक्ष बने थे। मुखिया ने गुर्जर समाज की सभा के लिए लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान प्रचार अभियान चलाया। उनको लोकसभा चुनाव में टिकट की उम्मीद तो थी पर ऐसा हो नहीं सका। अपनी ही पार्टी के विधायक के खिलाफ वो एक दफा धरना देने लगे थे। जिपं का कार्यकाल पूरा होने पर फिर आए चुनाव बीजेपी ने कुलविंदर को टिकट नहीं दिया। मुखिया की तरफ से दबाव भी रहा पर विरोधी गुट उन्हें अलग-थलग करने में जुटा रहा। इस पर मुखिया के परिवार से जिपं की राजनीति छिन गई। इस बार के विधानसभा चुनाव की बात करें तो मुखिया टिकट के लिए दबाव की पॉलिटिक्स तो करते रहे और सम्राट मिहिर भोज पर योगी आदित्यनाथ और बीजेपी पर ही निशाने साधे थे। हाल में जिपं में पथिक गुर्जर की तस्वीर हटाने पर घुसकर तस्वीर लगाने की धमकी भी दी थी। यह सब बातें पार्टी में उनके खिलाफ होती चली गईं।
बीजेपी ने उपेक्षा की, अपमानित किया : मुखिया
मुखिया गुर्जर ने कहा है कि वह 14 साल तक बीजेपी में रहे पर पहले 11 साल सपा में थे। अब उन्होंने घर वापसी कर ली है। तन-मन के साथ बीजेपी के साथ लगे रहने पर भी उनको योगदान को महत्व नहीं मिला। उनकी उपेक्षा हुई और उनको अपमानित किया गया।