उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसके लिए सरगर्मियां तेज हो रही है। आने वाले चुनाव में एक नाम काफी जोरों-शोरों से आगे बढ़ रहा है, जो अपनी पकड़ दलितों के बीच बढ़ाने और चुनाव में दमखम लगाने में लगा है और ये नाम है चंद्रशेखर रावण।
दरअसल, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण की मुलाकात ने एक अलग तरह के राजनीतिक समीकरण को पैदा किया है। वैसे तो अखिलेश यादव किसी भी तरह से आने वाले चुनाव में कमी रखना नहीं चाहते है।
जातीय समीकरण की वजह से कुछ हजार वोट भी गेम को किसी के लिए बिगाड़ सकते हैं, तो वहीं किसी के लिए गेम को सही कर सकते हैं। अब जब भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण और अखिलेश यादव की मुलाकात हो ही गई है तो यूपी की सियासत के नए रंग दिखने की उम्मीदें भी है।
माना तो ये भी जा रहा है कि विधानसभा का चुनाव चन्द्रशेखर रावण लड़ सकते हैं। यूपी में चंद्रशेखर रावण अपनी सियासी जमीन की खोज में लगे हुए हैं। भले पश्चिमी यूपी में रावण की पकड़ हो, लेकिन पूरे यूपी पर प्रभाव डालने के लिए किसी न किसी पार्टी से मिलकर खुद को मजबूत तो करना ही होगा। बसपा के लगातार गिरते ग्राफ ने जितना फायदा चंद्रशेखर रावण को कराया है, उतना शायद ही किसी और को हो रहा हो।
कई ऐसे मौके आए जब दलितों के मसीहा के तौर पर चंद्रशेखर रावण ने खुद को प्रूफ किया है और अपनी छवि में भी बदलाव लेकर आए हैं। कुछ दिनों पहले उन्होंने ऐलान किया कि यूपी की सभी विधानसभा सीटों पर वो चुनाव लड़ेंगे, लेकिन चुनावी सरगर्मी के बीच तो सियासत का ढांचा ही बदलता दिख रहा है और इस बदलाव में एक बात ये भी हुई कि चंद्रशेखर रावण अखिलेश से मिलकर नए तरह के समीकरण बनाने में लग गए हैं।
अखिलेश यादव भी पिता मुलायम सिंह से इतर होकर राजनीतिक राह पर चल पड़े हैं। पूर्वांचल और पश्चिमी यूपी के साथ-साथ बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए नए सियासी समीकरण और रास्ते पर चल रहे हैं। अब चंद्रशेखर के सहारे ही अखिलेश बहुत बड़ा वोट बैंक यानी कि दलित वोटरों को साधने में लगे हैं।
देखा जाए तो साल 2022 में दलित वोटर भी थोड़े क्फ्यूज तो होंगे ही कि आखिर क्या किया जाए किसके तरफ वोट किया जाए मायवती का एकछत्र राज रहा है दलित वोटरों पर लेकिन अब दलित वोटर्स भी नए विकल्प को तलाश रहे हैं। अब वो नया विकल्प क्या चंद्र शेखर होंगे ये देकने वाली बात होगी। और इन सबसे अखिलेश को कितना फायदा होगा इस पर भी आने वाले चुनाव में गौर करना होगा।