‘अबकी बार, 400 पार’ का नारा देने वाली बीजेपी को इस चुनाव में बड़ा झटका लगा है। पार्टी अपने बलबूते बहुमत हासिल करने में नाकाम रही है। पिछले दो लोकसभा चुनावों के मुकाबले इस साल पार्टी का प्रदर्शन सबसे खराब माना जा रहा है। इतना ही नहीं इस बार बीजेपी महज 240 पर सिमट गई है। हालांकि पार्टी एनडीए के अन्य सहयोगी दलों के साथ मिलकर एक बार फिर केंद्र में सरकार बनाने जा रही है। लेकिन जिस तरह का प्रदर्शन इस बार बीजेपी ने देखा है, उससे लगता है कि मोदी के नाम पर वोट पाने की बीजेपी की योजना अब ज्यादा काम नहीं कर रही है। इसका सबसे बड़ा सबूत ये है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में हार का सामना करना पड़ा है। देश के 7 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में पार्टी का पूरी तरह सफाया हो गया है।
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इन राज्यों में बीजेपी को झटका
पंजाब में बीजेपी शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन नहीं कर पाई। इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा। पिछले चुनाव में पार्टी के दो सांसद थे। इस बार बीजेपी पंजाब में एक भी सीट जीतने में नाकाम रही है। जबकि दक्षिण भारत के तमिलनाडु में पार्टी 39 सीटों में से एक भी सीट नहीं जीत पाई। मणिपुर में भी बीजेपी अपना खाता खोलने में नाकाम रही। यहां बीजेपी को 16.58 फीसदी वोट मिले। सिक्किम में एक लोकसभा सीट है। इस सीट पर सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने जीत दर्ज की। इसके अलावा मेघालय, मिजोरम, नागालैंड में भी बीजेपी का यही हाल रहा।
केंद्रशासित प्रदेश में नहीं चला ‘मोदी मैजिक’
केंद्र शासित प्रदेश में भी बीजेपी को झटका लगा है। पार्टी चंडीगढ़ सीट हार गई। पार्टी के उम्मीदवार संजय टंडन चंडीगढ़ सीट से 2504 वोटों से हार गए। पिछली बार इस सीट से पार्टी नेता किरण खेर ने चुनाव जीता था। इसी तरह पुडुचेरी, लद्दाख और लक्षद्वीप में भी पार्टी अपना खाता खोलने में विफल रही।
वोट शेयर में भी बीजेपी को नुकसान
इस बार चुनाव में बीजेपी को सीटों के साथ-साथ वोट शेयर में भी झटका लगा है। इस बार पार्टी को 36.61 फीसदी वोट मिले हैं। जबकि, साल 2019 में पार्टी का वोट शेयर 37.69 था। हालांकि, साल 2014 में पार्टी ने 31 फीसदी वोट हासिल किए थे। कांग्रेस ने इस साल 21.26 फीसदी वोट हासिल किए हैं। जबकि पिछले आम चुनाव में पार्टी को 19.66 फीसदी वोट मिले थे। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 52 सीटें जीती थीं। इस बार कांग्रेस 100 सीटों के आसपास जीतती दिख रही है।
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