भारतीय समाज विज्ञानी और चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव राजनीति के क्षेत्र के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। उनका विश्लेषण बहुत सटीक होता है। पिछले साल उनसे जुड़ा एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें स्वराज इंडिया के सह-संस्थापक योगेंद्र यादव दावा कर रहे हैं कि “घर में उनका नाम सलीम है और उनके परिवार के लोग उन्हें इसी नाम से बुलाते हैं।” इस इंटरव्यू क्लिप को सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि “योगेंद्र यादव का असली नाम सलीम खान है और वह धर्म से मुसलमान हैं।” लेकिन अब इस दावे को लेकर खुद योगेंद्र यादव ने एक इंटरव्यू में अपने धर्म के बारे में खुलासा किया है।
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इंटरव्यू में सुनाया 1938 का किस्सा
एक टीवी चैनल पर दिए इंटरव्यू में योगेंद्र यादव ने अपने दादा की कहानी साझा करते हुए कहा कि उनके दादा की हत्या धार्मिक उन्माद के दौरान की गई थी। उन्होंने कहा, ‘मेरे दादा की हत्या 1938 में भीड़ ने कर दी थी। मेरे दादा का नाम राम सिंह था और वो हिसार शहर में रहते थे। एक दिन पहले शहर में झगड़ा हुआ था और कट्टरपंथियों को लगा कि दादा के स्कूल के बच्चों ने जाकर ये कर दिया है।‘
भीड़ ने काटा गंडासे से गला
योगेंद्र यादव के मुताबिक, अगले दिन भीड़ स्कूल के सामने पहुंची और उन बच्चों को उन्हें सौंपने की मांग की। जिस पर दादा ने मना कर दिया। इसके बाद भीड़ ने गंडासे से उनका सिर धड़ से अलग कर दिया। योगेंद्र यादव ने आगे कहा, ‘मेरे पिता ने भी ये सब देखा। इसके बाद अगर वो चाहते तो मुसलमानों से नफरत कर सकते थे। वे भी कहते कि मैं हिंदू हूं, मैं हिंदू सम्राट हूं और मुसलमानों से नफरत करता हूं, लेकिन वह गांधी का दौर था।‘ इसके बाद योगेंद्र यादव ने अपने नाम के बारे में खुलासा किया।
पिताजी ने रखा था मुस्लिम नाम
योगेंद्र यादव ने आगे कहा, ‘मेरे पिता उस समय 8 साल के थे। उन्होंने बंटवारे का दौर भी देखा, जब मुसलमानों का कत्लेआम हुआ। गांधीजी का उन पर बहुत प्रभाव था। उन्होंने मेरी मां से कहा कि एक ही शर्त है कि मैं अपने बच्चों को मुस्लिम नाम दूंगा। देखिए, जिसने भी यह सब देखा है, वह यही कहता है कि मैं अपने बच्चों को मुस्लिम नाम दूंगा। पहले बेटी हुई, उसका नाम नजमा रखा, लेकिन मेरी मां ने हाथ जोड़कर कहा कि लड़की को रहने दो, फिर शादी नहीं होगी। दूसरी लड़की का भी हिंदू नाम रखा गया।‘
योगेंद्र का नाम रखा गया सलीम
उन्होंने कहा, ‘मैं तीसरे नंबर पर था और मेरा नाम सलीम रखा गया था। यह कोई उपनाम नहीं था। जब मैंने स्कूल में यह नाम दर्ज करवाया तो बच्चे कहने लगे कि तुम अपने माता-पिता के बेटे नहीं हो, क्योंकि मेरे माता-पिता हिंदू हैं। सलीम देवेंद्र सिंह और कमला का बेटा कैसे हो सकता है। 2-4 महीने बाद मैं घर आया और अपने परिवार से कहा कि मुझे अपना नाम बदल लेना चाहिए और उन्होंने मेरा नाम बदलकर योगेंद्र रख दिया, लेकिन मेरे भाई-बहनों और पड़ोसियों के लिए मैं अभी भी सलीम हूं।‘
योगेंद्र यादव की आम आदमी पार्टी बनाने में भूमिका
बैट दें, 2015 तक योगेंद्र यादव आम आदमी पार्टी के नेता थे। योगेंद्र यादव ने आम आदमी पार्टी को मजबूत बनाने में अहम योगदान दिया। योगेंद्र यादव की मदद से पार्टी ने 2013 में शानदार जीत दर्ज की। इसके बाद 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीतीं। दिल्ली के इतिहास में पहली बार ऐसा कारनामा हुआ। 2015 की शुरुआत में ही दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल के साथ मतभेद हो गए थे। इसके बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी छोड़ दी। फिर उन्होंने स्वराज इंडिया नाम से एक राजनीतिक पार्टी बनाई। स्वराज अभियान के मुताबिक भारतीय किसानों के सामने गंभीर चुनौतियां हैं।