Supreme Court: देश की सबसे बड़ी अदालत, सुप्रीम कोर्ट ने 9 दिसंबर को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राजनीतिक दलों पर महिला यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 (POSH एक्ट) लागू करने की मांग को खारिज कर दिया। अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से संपर्क करें, क्योंकि राजनीतिक दलों की गतिविधियों की निगरानी और देखरेख चुनाव आयोग का कार्यक्षेत्र है।
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चुनाव आयोग को संवैधानिक जिम्मेदारी- Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग राजनीतिक दलों की शिकायतों से निपटने और उन पर निगरानी रखने के लिए संवैधानिक रूप से सक्षम संस्था है। अदालत ने सुझाव दिया कि चुनाव आयोग राजनीतिक दलों पर दबाव डालकर उनके लिए आंतरिक प्रणाली (Internal Complaint Committee) तैयार करवा सकता है। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि यदि चुनाव आयोग इस मामले में उचित कार्रवाई करने में असमर्थ रहता है, तो याचिकाकर्ता किसी अन्य न्यायिक मंच पर अपनी बात रख सकता है।
याचिका में लगाए गए आरोप
याचिका में भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), एनसीपी, और आम आदमी पार्टी जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों को प्रतिवादी बनाते हुए आरोप लगाया गया था कि इन दलों ने POSH एक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं किया। याचिकाकर्ता का दावा था कि इन राजनीतिक दलों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए आवश्यक आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन नहीं किया गया है।
POSH एक्ट और इसकी कार्यप्रणाली
POSH एक्ट का उद्देश्य सार्वजनिक और निजी दोनों कार्यस्थलों पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करना है। इस कानून के तहत हर संगठन को एक आंतरिक शिकायत समिति (ICC) गठित करनी होती है, जो यौन उत्पीड़न की शिकायतों की सुनवाई कर सके।
- POSH एक्ट की धारा 3(1) कहती है कि किसी भी कार्यस्थल पर किसी भी महिला को यौन उत्पीड़न का शिकार नहीं होना चाहिए।
- कार्यस्थल की परिभाषा व्यापक है, जिसमें सरकारी और निजी दोनों प्रकार के संगठन शामिल हैं।
- इसमें घर, अस्पताल, खेल स्थल और नौकरी के दौरान देखी जाने वाली जगहें भी आती हैं।
राजनीतिक दलों पर POSH एक्ट क्यों नहीं लागू?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि राजनीतिक दलों के सदस्य ‘नियोक्ता-कर्मचारी संबंध’ के दायरे में नहीं आते हैं। अदालत ने राजनीतिक दलों को एक निजी संगठन के रूप में देखा, जो POSH एक्ट में दी गई ‘कार्यस्थल’ की परिभाषा में फिट नहीं बैठता। इसी आधार पर अदालत ने कहा कि राजनीतिक दलों पर इस एक्ट को लागू करना संभव नहीं है और वे आंतरिक शिकायत समिति (ICC) बनाने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।
अदालत का निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों पर POSH एक्ट लागू करने का अधिकार चुनाव आयोग के पास है। आयोग अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर नजर रख सकता है और आवश्यक कदम उठा सकता है। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि यदि आयोग संतोषजनक कार्रवाई करने में विफल रहता है, तो याचिकाकर्ता न्यायिक विकल्पों का सहारा ले सकता है।
महिलाओं के लिए POSH एक्ट की प्रासंगिकता
यह अधिनियम कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करता है तथा निजी और सरकारी संगठनों की जवाबदेही सुनिश्चित करता है। राजनीतिक दलों में इसके अनुपालन की मांग करना महिलाओं के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल सुनिश्चित करने का एक प्रयास है।