सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी क्या शर्तें लिखीं जिसके बाद केजरीवाल को लेना पड़ा इस्तीफे का फैसला, जानिए क्या है इस्तीफे के पीछे की राजनीति

Delhi CM Arvind Kejriwal resign
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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal bail) को 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। शराब घोटाले में 177 दिनों से तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में बंद अरविंद केजरीवाल को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई मामले में जमानत दे दी है। हालांकि केजरीवाल को ईडी मामले में 5 अगस्त को ही जमानत मिल गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत के लिए अलग-अलग शर्तें रखी हैं, जो ईडी मामले में जमानत देते समय लगाई गई थीं। जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर पाएंगे। इसके साथ ही उनके दफ्तर जाने पर भी रोक रहेगी। इतना ही नहीं वह इस मामले में कोई बयान या टिप्पणी भी नहीं कर पाएंगे। इन सब को देखते हुए ही केजरीवाल ने रविवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसमें उन्होंने सीएम की कुर्सी से इस्तीफा देने का निर्णय लिया। दरअसल इन शर्तों ने उनके मुख्यमंत्री पद पर कार्य करने के अधिकारों को भी काफी सीमित कर दिया है। वहीं, भाजपा लंबे समय से केजरीवाल के इस्तीफे की मांग कर रही थी।

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जमानत के लिए रखी गई ये शर्तें

अरविंद केजरीवाल न तो मुख्यमंत्री कार्यालय जा सकेंगे और न ही सचिवालय।

– जब तक जरूरी न हो, किसी सरकारी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।

– अपने मुकदमे के संबंध में कोई सार्वजनिक बयान या टिप्पणी नहीं करेंगे।

– किसी भी गवाह से किसी भी तरह की बातचीत नहीं करेंगे।

– इस मामले से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक उनकी पहुंच नहीं होगी।

– जरूरत पड़ने पर ट्रायल कोर्ट में पेश होंगे और जांच में सहयोग करेंगे।

केजरीवाल का इस्तीफा

सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित इन शर्तों के बाद अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का फैसला किया। उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि वे दो दिन में पद छोड़ देंगे और जब तक जनता उनकी ईमानदारी को स्वीकार नहीं कर लेती, वे दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं संभालेंगे। इसके अलावा, केजरीवाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि मनीष सिसोदिया को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा और दोनों नेता मतदाताओं के बीच प्रचार करेंगे।

 चुनाव की संभावना

इसके अलावा, अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में जल्द से जल्द चुनाव होने चाहिए। महाराष्ट्र के अलावा, उनका प्रस्ताव है कि नवंबर में दिल्ली में भी चुनाव कराए जाएं। बहरहाल, विधायक दल की बैठक में दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री का फैसला होगा। अरविंद केजरीवाल ने पद छोड़ने का फैसला इसलिए किया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों ने उनके प्रशासनिक कर्तव्यों को निभाने की क्षमता को गंभीर रूप से सीमित कर दिया था। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री के रूप में कौन चुना जाता है और चुनावी प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है।

‘इस्तीफे के लिए दो दिन क्यों चाहिए?’

केजरिवल के इस्तीफे को लेकर भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा, ‘मैं पूछना चाहता हूं कि आपने जेल में रहते हुए इस्तीफे की बात नहीं की। बाहर आने के बाद इस्तीफे की बात क्यों की? उसके लिए भी आपको 48 घंटे चाहिए। आखिर इन दो दिनों में क्या-क्या निपटाना है। आप देश के पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन पर सुप्रीम कोर्ट ने फाइलों पर हस्ताक्षर करने, दफ्तर जाने पर रोक लगा दी है। जब आप कोई सरकारी काम नहीं करते हैं, तो फिर ऐसा कौन सा राज है, जिसके लिए 48 घंटे मांगे जा रहे हैं। दूसरी तरफ केजरीवाल ने इस्तीफे की बात की, तो हम कह सकते हैं कि यह उनका जुर्म कबूलनामा है। आपने स्वीकार किया कि आप पर लगे आरोप इतने योग्य हैं कि आप पद पर नहीं रह सकते।’

“मर्यादा के लिए कुर्सी छोड़ी”

आप नेता सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा, लोग भाजपा से बहुत नाराज हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘लोग कह रहे हैं कि यह सतयुग में हुआ था, जब भगवान राम 14 साल के लिए वनवास गए थे। उन्होंने आगे कहा, अरविंद केजरीवाल भगवान राम नहीं हैं, उनके और भगवान राम के बीच कोई तुलना नहीं है, वे भगवान राम के भक्त हनुमान के भक्त हैं, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने मर्यादा के लिए कुर्सी छोड़ी।’

बीजेपी पर निशाना

सौरभ भारद्वाज ने कहा, बीजेपी 6 महीने से अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा मांग रही थी और कह रही थी कि जेल से सरकार नहीं चलाई जा सकती, लेकिन सरकार चली। अब जब उन्होंने इस्तीफा दे दिया है, तो वे कह रहे हैं कि इसलिए दिया, फिर आप पहले इस्तीफा क्यों मांग रहे थे?

21 मार्च को हुई थी केजरिवल की गिरफ्तारी

ईडी ने 21 मार्च को मुख्यमंत्री केजरीवाल को हिरासत में लिया था। उसके बाद उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने के लिए 21 दिन की अस्थाई जमानत दी गई थी। 12 जुलाई को उन्हें ईडी मामले में एक बार फिर जमानत मिली। लेकिन उससे पहले सीबीआई ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। सीबीआई मामले में उन्हें अभी जमानत मिली हुई है। इस मामले में सीएम के आज शाम तिहाड़ जेल से रिहा होने की उम्मीद है। पार्टी के लिए यह राहत संजीवनी की तरह है। दरअसल, पार्टी हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ रही है और जमानत मिलने से उसे जीत हासिल करने में मदद मिलेगी।

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