लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। मोहन भागवत ने मणिपुर में एक साल बाद भी शांति नहीं होने पर सोमवार को चिंता जताई और कहा कि संघर्ष प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य की स्थिति पर प्राथमिकता से विचार किया जाना चाहिए। अपने संबोधन में भागवत ने कहा कि काम करो, लेकिन मैंने क्या किया इसका अहंकार मत करो, वही सच्चा सेवक है। इससे पहले राजनीतिक जगत में चर्चा है कि आरएसएस ने भाजपा की मदद नहीं की, जिसके कारण उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान समेत देश के कई राज्यों के चुनाव नतीजे भाजपा के लिए निराशाजनक रहे। ऐसे में अब संघ प्रमुख के इस संबोधन को केंद्र की मोदी सरकार के लिए बड़े संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग के दूसरे समापन समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि पूर्वोत्तर का राज्य मणिपुर एक साल से हिंसा की आग में जल रहा है। मणिपुर एक साल से शांति का इंतजार कर रहा है। इस पर प्राथमिकता से विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, ”मणिपुर पिछले एक साल से शांति की राह देख रहा है। प्राथमिकता के साथ उसका विचार करना होगा। मणिपुर राज्य पिछले 10 साल शांत रहा, लेकिन अचानक से गन कल्चर फिर से बढ़ा, जो कलह वहां पर हुई। उसपर प्राथमिकता देकर विचार करना जरूरी है।”
मोदी सरकार को दिखाया आईना
मोहन भागवत ने कहा, ”तकनीक की मदद से झूठ को पेश किया गया, झूठ को प्रचारित करने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। ऐसा देश कैसे चलेगा? विपक्ष को विरोधी नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि वे विपक्ष हैं और एक पक्ष को उजागर कर रहे हैं। उनकी राय भी सामने आनी चाहिए। चुनाव लड़ने की एक गरिमा होती है, उस गरिमा का ख्याल नहीं रखा गया। ऐसा करना जरूरी है क्योंकि हमारे देश के सामने चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। वही एनडीए सरकार फिर से सत्ता में आ गई है, यह सही है कि पिछले 10 सालों में बहुत सारी सकारात्मक चीजें हुई हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अब हम चुनौतियों से मुक्त हो गए हैं।”
अब देखना यह है कि मोदी सरकार मणिपुर पर मोहन भागवत के बयान पर क्या कहती है।
कोंग्रेस ने दिया मोहन भागवत को लेकर बयान
वहीं, मणिपुर हिंसा पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि शायद मोहन भागवत के बयान के बाद अब पीएम मोदी मणिपुर का दौरा करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 22 साल पहले वाजपेयी ने मोदी से अपना राजधर्म निभाने को कहा था।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “अगर एक तिहाई प्रधानमंत्री की अंतरात्मा या मणिपुर के लोगों की बार-बार की मांग को नहीं माना गया है तो शायद श्री भागवत पूर्व आरएसएस पदाधिकारी को मणिपुर जाने के लिए राजी कर सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “याद कीजिए 22 साल पहले श्री वाजपेयी ने श्री मोदी से क्या कहा था: अपना राजधर्म निभाइए।”
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