उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले नेताओं का दल बदलने का सिलसिला अब तक जारी है। इस कड़ी में आज यानी मंगलवार को कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा। यूपी पडरौना राजघराने के राजा और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे आरपीएन सिंह ने आज भगवा दल का दामन थाम लिया। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में उन्होंने बीजेपी ज्वॉइन की।
बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करते हुए जहां एक और आरपीएन सिंह ने पीएम मोदी और सीएम योगी की खूब तारीफ की। तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने कांग्रेस की सोच पर भी सवाल उठाए।
कांग्रेस की सोच पर उठाए सवाल
आरपीएन सिंह ने कहा कि मैं 32 सालों तक कांग्रेस में रहा। मैंने ईमानदारी और लगन से मेहनत की। लेकिन जिस पार्टी के साथ मैं इतने सालों तक रहा, वो अब अब रह नहीं गई और ना तो वो सोच रही है। राष्ट्र निर्माण के लिए मैं जो भी संभव होगा मैं करूंगा। मुझे बहुत सालों से लोग कह रहे थे कि आपको बीजेपी में जाना चाहिए। मैंने काफी समय तक सोचा, लेकिन अब देर आए दुरुस्त आए।
मौर्य को देंगे चुनौती?
जब आरपीएन सिंह को बीजेपी में शामिल कराया गया, उस दौरान मौके पर यूपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अनुराग ठाकुर मौजूद रहे। खबर ऐसी हैं कि बीजेपी आरपीएन सिंह को कुशीनगर के पडरौना से मैदान में उतारकर एक बड़ा चुनावी दांव चल सकती हैं। खबरों के मुताबिक उन्हें स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ चुनाव में उतारने की बीजेपी की प्लानिंग हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य कुछ दिन पहले ही बीजेपी छोड़ समाजवादी पार्टी में गए हैं। वो योगी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य अभी पडरौना से विधायक हैं।
पडरौना सीट से आरपीएन सिंह साल 1996, 2002 और 2007 में तीन बार विधायक रहे। साथ ही वो 4 बार लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। हालांकि उन्हें सफलता एक ही बार मिली।
आरपीएन सिंह और स्वामी प्रसाद मौर्य पहले भी सियासी मैदान में आमने सामने आ चुके हैं। 2009 में दोनों ने एक-दूसरे के सामने लोकसभा चुनाव लड़ा था। तब स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा के प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही मायावती सरकार में कद्दावर मंत्री थे। इन चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार आरपीएन सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य को पटखनी दे दी थी और मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री बने थे।
जब आरपीएन सिंह लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे, तब वो पडरौना सीट से विधायक थे। सांसद बनने के बाद उन्होंने विधायकी छोड़ी। इसके बाद पडरौना सीट से अपनी मां मोहिनी देवी को चुनाव लड़वाया। बसपा ने इन उपचुनावों में भी अपनी ओर से स्वामी प्रसाद मौर्य को ही अपना प्रत्याशी चुना। इस बार मौर्य जीतने में कामयाब हुए थे। अब ऐसे में ये दोनों नेता चुनाव में एक बार फिर आमने सामने आते हैं, तो नतीजे क्या होंगे, ये देखना दिलचस्प रहेगा।