Punjab Politics: पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) के भीतर बढ़ते असंतोष और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच मुख्यमंत्री भगवंत मान अपनी पूरी कैबिनेट के साथ दिल्ली पहुंच चुके हैं। AAP के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया है, जो दिल्ली स्थित कपूरथला हाउस में होगी।
इस बैठक को लेकर कई राजनीतिक अटकलें तेज़ हो गई हैं। कांग्रेस ने दावा किया है कि अरविंद केजरीवाल भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद से हटाने की कोशिश कर रहे हैं। इस बैठक के मद्देनजर भगवंत मान ने 10 फरवरी को होने वाली पंजाब कैबिनेट की बैठक स्थगित कर दी थी, जो अब 13 फरवरी को होगी।
क्या पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी? (Punjab Politics)
AAP के पंजाब प्रमुख अमन अरोड़ा के हालिया बयान ने इन अटकलों को और हवा दे दी है। उन्होंने कहा था कि “जो व्यक्ति डिजर्व करता है, उसे जिम्मेदारी मिलनी चाहिए।” उन्होंने तर्क दिया कि देश में महज़ 2% सिखों की आबादी होने के बावजूद डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने, तो किसी ने आपत्ति नहीं जताई, तो फिर पंजाब में 38% हिंदू आबादी के बावजूद यह सवाल क्यों उठाया जा रहा है?
#WATCH | Delhi: AAP National Convenor Arvind Kejriwal reaches Kapurthala House.
Arvind Kejriwal called a meeting with Punjab CM Bhagwant Mann and MLAs who were campaigning in different areas for the Delhi elections. pic.twitter.com/cHowjqBQmO
— ANI (@ANI) February 11, 2025
विपक्षी दल कांग्रेस इस बयान को नेतृत्व परिवर्तन की भूमिका बता रही है। नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने तो यहां तक दावा किया कि उनके संपर्क में AAP के 30 विधायक हैं और जल्द ही अरविंद केजरीवाल खुद पंजाब के मुख्यमंत्री बनने की योजना बना रहे हैं। बाजवा ने कहा कि लुधियाना वेस्ट के विधायक गुरप्रीत गोगी के निधन से खाली हुई सीट से केजरीवाल उपचुनाव लड़ सकते हैं। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में हार के बाद अब आम आदमी पार्टी पूरी तरह से पंजाब पर निर्भर हो गई है और पार्टी में अंदरुनी कलह तेज़ हो सकती है।
AAP का पलटवार: “यह एक रूटीन मीटिंग”
AAP सांसद मालविंदर कंग और प्रवक्ता नील गर्ग ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि यह एक रूटीन मीटिंग है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं और ऐसी बैठकें पार्टी की नियमित प्रक्रिया का हिस्सा होती हैं। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि “जिनके अपने विधायक उनसे दूर हैं, वे हमारे 30 विधायकों के संपर्क में होने का दावा कर रहे हैं।”
प्रवक्ता नील गर्ग ने यह भी कहा कि पंजाब के विधायकों और मंत्रियों ने दिल्ली चुनाव में प्रचार किया था, इसलिए अब पार्टी उनसे फीडबैक ले रही है। उन्होंने साफ किया कि पार्टी की यह मर्जी है कि बैठक चंडीगढ़ में हो या दिल्ली में।
दिल्ली की हार के बाद पंजाब पर फोकस
AAP के लिए पंजाब अब और भी महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि दिल्ली नगर निगम चुनावों में हार के बाद केजरीवाल की पार्टी को बड़ा झटका लगा है। हरियाणा में पार्टी का खाता भी नहीं खुला था और गुजरात में दूसरे नंबर पर आने के बावजूद जीत नहीं मिली थी। ऐसे में पंजाब अब पार्टी का प्रमुख राजनीतिक केंद्र बनता जा रहा है।
AAP के लिए सबसे बड़ी चुनौती 2027 के विधानसभा चुनाव हैं, क्योंकि पार्टी अभी तक अपने बड़े चुनावी वादों को पूरा नहीं कर पाई है। अगर पार्टी पंजाब में अपना जनाधार खो देती है, तो उसकी राष्ट्रीय राजनीति पर भी बड़ा असर पड़ेगा।
कांग्रेस को मध्यावधि चुनाव की आशंका
दिल्ली में AAP को हुए नुकसान से कांग्रेस उत्साहित है। पार्टी का दावा है कि पंजाब में भी आम आदमी पार्टी का यही हश्र होगा। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि दिल्ली की तरह ही पंजाब में भी शराब नीति में घोटाला सामने आएगा और पार्टी में बिखराव होगा।
इसके अलावा, हाल ही में धान खरीद में एमएसपी घोटाले के आरोपों ने भी AAP सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कांग्रेस का कहना है कि केजरीवाल का पंजाब सरकार में सीधा दखल पार्टी के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है और इससे विधायक बगावत कर सकते हैं। कांग्रेस के मुताबिक, पंजाब में अस्थिरता को देखते हुए समय से पहले चुनाव भी हो सकते हैं।
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