महाराष्ट्र में फिर से मराठी साइन बोर्ड (Marathi Sign Board) की पॉलिटिक्स ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने मराठी कार्ड रखते हुए पूरे राज्य में हर एक दुकानों, ऑफिस और फैक्ट्री का मराठी नाम रखने के लिए कैबिनेट में निर्णय लिया जिस पर खुद राज्य सरकार का समर्थन कर रही समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) इसके अलावा सत्ता से बाहर रह रही बीजेपी (BJP) ने सवाल उठाने शुरू कर दिये। उद्धव सरकार की मंशा पर अब जोरोंशोरों से सवाल उठने लगे हैं।
पूरे राज्य में मराठी साइन बोर्ड करने के संबंध में कैबिनेट में राज्य सरकार ने प्रस्ताव भी पारित कर दिया जिसमें सरकार की तरफ से तय किया गया है कि अब सभी ऑफिसेज, दफ्तर, दुकान पर मराठी बोर्ड अनिवार्य होगा। इस पर राज्य की राजनीति गर्म हो गयी है। सपा विधायक रईस शेख ने सरकार को पत्र लिखा है और कहा कि सरकार को सख्ती नहीं करनी चाहिए।
सीधे शिवसेना पर तो बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष माधव भंडारी ने हमला नहीं किया पर इशारों ये स्पष्ट किया कि क्या सरकार में बैठी पार्टियों की मंसा साइन बोर्ड के बहाने दूसरी है? और जबरदस्ती हुई तो कहीं ना कहीं झगड़ा बढ़ेगा। बीजेपी और समाजवादी पार्टी के अलावा कइयों ने लगातार बयान दिए।
व्यापारी एसोसिएशन के कुमार जैन बुलियन का इस बारे में कहना है कि व्यापारी अभी इस पर कोई विवाद नहीं चाहते हैं, क्योंकि उनका भारी नुकसान पहले ही कोरोना में हुआ है ऐसे में साइन बोर्ड पर अगर झगड़ा हुआ और तोड़फोड़ हुई तो और नुकसान होगा वो भी व्यापारियों का ही नुकसान होगा।