झारखंड में सियासी उथल-पुथल के बीच आयोग्यता का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में विधायकों के रुकने की व्यवस्था नया रायपुर के होटल मेफेयर में की गई है। कुल 41 विधायकों को सीएम हेमंत सोरेन 3 बसों में लेकर रांची से रायपुर के लिए निकले है। हालांकि नई जानकारी के मुताबिक, विधायकों को खूंटी के रिसॉर्ट में शिफ्ट किया जा रहा है।
दरअसल, झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधायकी पर आयोग्यता का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में सरकार में सेंधमारी के डर से सत्ताधारी गठबंधन के विधायकों को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शिफ्ट करने की बजाय अब उन्हें झारखंड में ही रखा जाएगा। यहां खूंटी के रिसॉर्ट में शिफ्ट करने की तैयारी कि जा रही है। शनिवार को सीएम हेमंत सोरेन के आवास पर हुई महागठबंधन विधायकों की बैठक के बाद उन्हें तीन बसों से दूसरी जगह ले जाया गया। इससे पहले विधायकों को अपने साथ सामान लाने को भी कहा गया था।
झारखंड में मंडराया सियासी संकट
गौरतलब है कि यूपीए खेमा अपने विधायकों को एकजुट रखने में जुटा हुआ है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस और आरजेडी के सभी विधायकों को झारखंड में ही रखा जाएगा। जब विधायक बैठक में पहुंचे थे, तब उनकी गाड़ियों में बैग समेत बाकी सामान भी देखे गए थे। फिलहाल महागठबंधन के सभी विधायक एकजुट है। कांग्रेस के सभी विधायक शाम 8.30 बजे मीटिंग में शामिल होंगे। मालूम हो कि विधायकों को ले जाने की तैयारी पहले से ही हो रही थी। खबर ये भी है कि 10 अगस्त को छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के रांची दौरे के दौरान ही तैयारियां शुरु कर दी गई थी।
गठबंधन ने सरकार पर खतरे से किया इंकार
झारखंड की विधानसभा में कुल 81 सीटें है। इसमें सोरेन के साथ 49 विधायक है। इनमें से 30 विधायक झामुमो 18 कांग्रेस और एक विधायक राष्ट्रीय जनता दल से है। विपक्षी दल बीजेपी के पास सदन में 26 विधायक है। सत्तारुढ़ गठबंधन का दावा है कि सरकार पर कोई खतरा नहीं है।
निर्वाचन आयोग ले सकता है फैसला
बता दें कि राज्यपाल रमेश बैस राज्य में तेजी से बदले राजनीतिक परदृश्य के बीच शनिवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधायक के रूप में अयोग्य ठहराने के निर्वाचन आयोग के विचार पर फैसला ले सकते हैं। खबर है कि चुनाव आयोग ने 26 अगस्त को बैस को अपनी राय भेजी थी। ये राय उस याचिका के संबंध में थी, जिसमें सोरेन को एक खनन पट्टे की लीज का विस्तार कर चुनावी मानदंडों का उल्लंघन करने के आरोप में विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी।