बिहार में नीतीश राज में शराबबंदी लागू है। यानी यहां शराब बेचना और पीना सबकुछ गैरकानूनी है। सरकार के इस फैसले से उल्ट बावजूद इसके राज्य में जहरीली शराब लोगों की मौत का कारण बन रही है। यहां जहरीली शराब पीने की वजह से होने वाली मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। तो ऐसे में नीतीश सरकार पर सवाल तो उठने लाजमी है कि भई, ये कैसी शराबबंदी है? और जहरीली शराब पीने के चलते हो रही इन मौतों का जिम्मेदार कौन है?
जहरीली शराब से होने वाली मौतों का सिलसिला बिहार के अलग अलग जिलों में देखने को मिला रहा है। बीते 15 दिनों में राज्य में 41 लोगों की जान जाने की खबर है। वहीं कई लोग अभी भी अस्पताल में एडमिट है। साथ ही कुछ लोगों की आंखों की रोशनी जा चुकी है।
अलग अलग राज्यों में कई लोगों ने गंवाई जान
बिहार के गोपालगंज के मोहम्मदपुर में जहरीली शराब पीने की वजह से 17 लोगों की जान चली गई। ये मौतें 2 नवंबर से लेकर अब तक हुई। हालांकि प्रशासन ने फिलहाल 9 ही मौत की पुष्टि की है। संख्या बढ़ने की अभी और संभावना है। बेतिया में भी कई लोगों को जहरीली शराब ने मौत के मुंह में समा दिया। यहां 3 नवंबर से लेकर अब तक 13 लोगों की मौत हुई। साथ ही अभी कई लोगों की हालत गंभीर भी बनी हुई है। मौतों की संख्या बढ़ने के भी आसार है।
इसके अलावा मुजफ्फरपुर में 6 लोगों की मौत 28 अक्टूबर को जहरीली शराब की वजह से हुई थी। वहीं सिवान में 5 लोगों ने इसके चलते अपनी जान 24 अक्टूबर को गंवाई।
तेजस्वी ने नीतीश को ठहराया जिम्मेदार
बिहार में शराबबंदी लागू होने के बावजूद यहां 2021 में ही केवल 85 लोगों की जान जा चुकी है। ऐसे में विपक्ष का सरकार पर सवाल उठाना तो लाजमी है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इसको लेकर सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोला और पूछा की क्या इस मौतों के लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार नहीं?
इस मसले पर तेजस्वी यादव लगातार कई ट्वीट करते नजर आ रहे हैं और नीतीश सरकार की शराबबंदी को फेल भी बता रहे हैं। तेजस्वी ने अपनी एक ट्वीट में ये भी पूछा कि क्या शराबबंदी का ढोल पीटने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसके जिम्मेदारी नहीं हैं?
जहरीली शराब जिस तरह लोगों की जान ले रही है, उसको देखकर विपक्ष का सरकार पर सवाल उठाना सही भी लगता है। वैसे तो बिहार में एक अप्रैल 2016 से ही शराबबंदी लागू की थी, लेकिन सच्चाई यही है कि ये राज्य में आज भी सही ढंग से लागू नहीं। राज्य में अक्सर ही कहीं ना कहीं से शराब की बरामदगी या फिर इससे जुड़े कानून तोड़ने की खबरें सामने आती रहती है।
जब बिहार में शराबबंदी लागू हुई तो वो ऐसा करने वाला पांचवां राज्य बना था। शराबबंदी से जुड़े प्रतिबंध ना मानने वालों पर सख्त सजा के प्रावधान किया गया। इसी वजह से एक अप्रैल 2016 से लेकर दिसंबर 2020 तक राज्य में 2 लाख लोगों को शराबबंदी के उल्लंघन पर जेल हुई, जबकि बड़ी संख्या में लोगों को सजा भी सुनाई गई।
महाराष्ट्र से ज्यादा शराब पीते हैं बिहार के लोग
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) 2020 की रिपोर्ट बताती है कि बिहार वैसे तो ड्राई स्टेट है, बावजूद इसके यहां महाराष्ट्र से ज्यादा शराब की खपत होती है। बिहार में 15.5 फीसदी पुरुष शराब का सेवन करते हैं, जबकि महाराष्ट्र में ये आंकड़ा 13.9 प्रतिशत है। गौर करने वाली बात है कि महाराष्ट्र में शराबबंदी लागू नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में 15.8 प्रतिशत और शहरी में 14 प्रतिशत लोग शराब पीते हैं।
इससे तो यही पता चलता है कि बिहार में शराबबंदी के दावे केवल हवा-हवाई ही है। ऐसे में नीतीश सरकार पर लोग उंगली उठाते हुए ये तो पूछते नजर आएंगे ही कि ऐसी शराबबंदी का आखिर क्या फायदा जब यूं जहरीली शराब से लोग जान गंवा रहे हो? क्यों सरकार ऐसे मामलों को रोकने के लिए कोई ठोंस कदम नहीं उठाती?