इन 10 दलित नेताओं की धमक से चमकेगा संसद भवन, जानें किन नेताओं को मिली सदन में जगह

Parliament House will shine with the power of these 5 Dalit leaders
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दलितों को सत्ता की चाबी सौंपने के लिए बनी बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 में शून्य पर सिमट गई। लेकिन बाकी दलित नेताओं ने इन चुनावों में खूब धूम मचाई। इस चुनाव में न केवल आरक्षित सीटों से, बल्कि फैजाबाद जैसी सामान्य सीटों से भी कुछ दलित सांसद चुने गए हैं। वहीं, कुछ दलित सांसद ऐसे भी हैं जो पहली बार सांसद बने हैं। इस बार मोदी कैबिनेट में दलितों पर खास फोकस रखा गया है और दलित नेताओं को भी राजनीति में अपनी पहचान बनाने का मौका दिया गया है। आइए आपको बताते हैं उन दलित नेताओं के बारे में जो इस समय राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं।

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चरणजीत सिंह चन्नी

चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे राज्य में सीएम पद तक पहुंचने वाले पहले दलित नेता हैं। इस बार कांग्रेस ने उन्हें जालंधर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था। चन्नी ने भाजपा के सुशील कुमार रिंकू को 1 लाख 75 हजार 993 वोटों से हराया। चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब कांग्रेस का प्रमुख दलित-सिख चेहरा हैं। वे चमकौर साहिब से तीन बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने विधानसभा का अपना पहला चुनाव साल 2007 में जीता था। साल 2015-16 में वे पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे।

चंद्रशेखर आजाद

कुछ साल पहले ‘भीम आर्मी’ बनाकर चर्चा में आए चंद्रशेखर आज़ाद अब सांसद बन गए हैं। चंद्रशेखर ने उत्तर प्रदेश की नगीना सीट से बीजेपी उम्मीदवार ओम कुमार को डेढ़ लाख से ज़्यादा वोटों से हराया है। चंद्रशेखर आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वे अपनी ही पार्टी से चुनाव जीते हैं।

चंद्रशेखर 2015 में भीम आर्मी के गठन के साथ चर्चा में आए थे, जिसे आधिकारिक तौर पर भीम आर्मी भारत एकता मिशन के नाम से जाना जाता है। उन्होंने दलितों के अधिकारों की लड़ाई के उद्देश्य से इस संगठन की स्थापना की थी। तब वे देश में कई दलित आंदोलनों में सबसे आगे थे। आज़ाद ने मार्च 2020 में राजनीतिक संगठन आज़ाद समाज पार्टी का गठन किया और इस पार्टी में सपा, बसपा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के कई नेता शामिल हुए। चंद्रशेखर आज़ाद ने एक दशक लंबे करियर में लंबा सफ़र तय किया है और नगीना में उनकी जीत ने राज्य में दलित राजनीति को एक अलग मोड़ दे दिया है।

संजना जाटव

राजस्थान के भरतपुर से सांसद बनीं संजना जाटव की उम्र महज 26 साल है। वे राजस्थान की सबसे कम उम्र की उम्मीदवार थीं। संजना ने भाजपा उम्मीदवार रामस्वरूप कोली को 51,983 वोटों से हराया। पिछले साल संजना ने कांग्रेस के टिकट पर अलवर जिले की कठूमर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन 409 वोटों से हार गई थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संजना को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता है। विधायक बनने से पहले उन्होंने अलवर जिला परिषद का चुनाव भी लड़ा था, जहां वे वार्ड-29 से चुनी गई थीं।

चिराग पासवान

रामविलास पासवान के बेटे और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता चिराग पासवान को मोदी 3.0 के दलित कैबिनेट मंत्रियों में शामिल किया गया है। इस उपलब्धि ने पासवान को बिहार की राजनीति में नए दलित आइकन के रूप में स्थापित कर दिया है, और उन्होंने कई अनुभवी राजनेताओं को पीछे छोड़ दिया है। नरेंद्र मोदी सरकार में उनका शामिल होना बिहार के गतिशील राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण वापसी के रूप में देखा जा रहा है।

डॉ. वीरेंद्र कुमार

बीजेपी नेता डॉ. वीरेंद्र कुमार लगातार आठवीं बार लोकसभा सांसद बने हैं। मध्य प्रदेश की टीकमगढ़ लोकसभा सीट से यह उनकी लगातार चौथी जीत है। उन्होंने कांग्रेस के पंकज अहिरवार को 4 लाख 3 हजार वोटों से हराया। इससे पहले वीरेंद्र कुमार खटीक मोदी सरकार में अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। वर्तमान में वे केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वे अल्पसंख्यक कल्याण और महिला एवं बाल विकास विभाग में राज्य मंत्री भी थे।

जीतन राम मांझी

मुसहर जाति से आने वाले 79 वर्षीय दलित नेता जीतन राम मांझी ने गया से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता। जीतन राम मांझी अब केंद्र सरकार में मंत्री हैं। बिहार के मुख्यमंत्री रहने के बाद उन्होंने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की स्थापना की।  जीतन राम मांझी नए दलित कैबिनेट मंत्रियों में शामिल हैं।

शांभवी चौधरी

शांभवी चौधरी इस बार चुनी गई सबसे युवा सांसदों में से एक हैं। उनकी उम्र महज 25 साल है। शांभवी पासी जाति से आती हैं। उनके पिता अशोक चौधरी बिहार सरकार में मंत्री हैं और उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है। शांभवी ने चुनाव में बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे सनी हजारी को हराया था। पटना के नोट्रे डेम एकेडमी से स्कूली शिक्षा लेने के बाद शांभवी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर डिग्री हासिल की।

अवधेश प्रसाद

उत्तर प्रदेश की फैजाबाद लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद 54,567 वोटों से जीते। उन्होंने इस सीट से दो बार के भाजपा सांसद लल्लू सिंह को हराया। अवधेश प्रसाद सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। वे 9 बार विधायक रह चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में वे मिल्कीपुर से विधायक चुने गए थे। 78 वर्षीय अवधेश प्रसाद अयोध्या में सपा का चर्चित दलित चेहरा हैं।

कुमारी शैलजा

1990 में महिला कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत करने वाली शैलजा कई बार केंद्रीय मंत्री रह चुकी हैं। वे 1991 में पहली बार सिरसा से लोकसभा पहुंची थीं। कुमारी शैलजा मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुकी हैं। कांग्रेस में उनकी गिनती प्रमुख दलित नेता के तौर पर होती है। शैलजा एक बार फिर हरियाणा की सिरसा लोकसभा सीट से सांसद चुनी गई हैं। उन्होंने भाजपा के अशोक तंवर को 2 लाख 68 हजार वोटों से हराया। पिछले लोकसभा चुनाव में वे अंबाला से हार गई थीं। शैलजा के पिता चौधरी दलवीर सिंह हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष थे।

रामनाथ ठाकुर

रामनाथ ठाकुर जेडीयू के प्रमुख नेताओं में से एक हैं। उनके पिता कर्पूरी ठाकुर बिहार के चर्चित मुख्यमंत्री रह चुके हैं। कर्पूरी ठाकुर को उनके फैसलों, आरक्षण और सादगी भरी राजनीति के लिए याद किया जाता है। रामनाथ ठाकुर का लंबा राजनीतिक अनुभव है और वे बिहार सरकार में मंत्री पद संभाल चुके हैं। रामनाथ ठाकुर अलग-अलग सरकारों में मंत्री बन चुके हैं। राज्यसभा से पहले रामनाथ ठाकुर बिहार विधान परिषद के सदस्य थे। रामनाथ ठाकुर अब केंद्र में मंत्री बनाए गए हैं।

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