महाराष्ट्र में मावल लोकसभा चुनाव 2009 से शिवसेना जीतती आ रही है। 2009 में इस सीट से शिवसेना के गजानन बाबर सांसद बनकर संसद पहुंचे। 2014, 2015, 2016, 2017 और 2018 में लगातार संसद में टॉप परफॉर्मर रहने वाले शिवसेना के श्रीरंग बारणे ने यहां से चुनाव जीता। इसके लिए उन्हें संसद रत्न से सम्मानित किया गया। हालांकि, इन सबके बावजूद श्रीरंग बारणे को इस बात का अफसोस है कि 2014 और 2019 के हलफनामे में उनकी शैक्षणिक योग्यता ’10वीं फेल’ बताई गई है। हालांकि, इस साल के लोकसभा चुनाव के हलफनामे में उन्हें 10वीं पास बताया जा रहा है। ये चमत्कार कैसे हुआ ये हम आपको बताएंगे।
शिक्षा के महत्व का हुआ एहसास
बारणे के बारे में हम आपको बता दें कि वह केवल 8वीं पास हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1997 में पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम में पार्षद का चुनाव लड़कर की और जीत हासिल की। पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम में लंबे समय तक काम करने के बाद उन्होंने 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा और बंपर वोटों से जीत हासिल की। हालांकि, यह सब उनके लिए पर्याप्त नहीं था। वह अक्सर अपने ऊपर लगे 10वें फेल स्टंप को याद करते थे। बारणे के एक करीबी सहयोगी उदय अवाटे ने बताया, ‘जब श्रीरंग सांसद बनकर दिल्ली गए, तो उन्हें शिक्षा के महत्व का एहसास हुआ। वह हमेशा यह स्वीकार करते थे कि 1980 में एसएससी में मिली असफलता उन्हें परेशान कर रही थी, जबकि उन्हें कई बार सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार दिया गया था।’
10वीं की पास
इस बार उन्होंने अपने ऊपर से 10वीं फ़ेल का दाग मिटा दिया है। 60 वर्षीय शिवसेना सांसद ने सोमवार को लगातार तीसरी बार मावल सीट के लिए अपना नामांकन दाखिल किया और अपने हलफनामे में गर्व से उल्लेख किया कि वह अब ‘एसएससी उत्तीर्ण’ हैं।
श्रीरंग ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘मैंने 1980 में एसएससी परीक्षा दी थी, लेकिन मैं विज्ञान विषय में फेल हो गया था। हालांकि मैंने राजनीति में सफलता का स्वाद चखा, लेकिन 10वीं कक्षा की परीक्षा में मिली असफलता ने मुझे इतने सालों तक परेशान किया। मैं 2022 में परीक्षा में शामिल हुआ और पास हो गया।’
शिवसेना सांसद ने 2022 में अपनी इस उपलब्धि को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया था, लेकिन अब जब उन्होंने आम चुनाव में अपने तीसरे हलफनामे में दसवीं पास लिखा तो इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई।
कोविड में की पढ़ाई
उदय अवाटे के मुताबिक, ‘श्रीरंग को पढ़ने का शौक है और इससे उन्हें 58 साल की उम्र में भी विषयों को आसानी से समझने में मदद मिली। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान बहुत पढ़ाई की और जैसे ही वह चरण समाप्त हुआ, वह परीक्षा में शामिल हुए और 2022 में इसे पास कर लिया।’
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