मोदी सरकार 3.0 ने शपथ ले ली है। राष्ट्रपति भवन में आयोजित भव्य समारोह में पीएम मोदी के नेतृत्व में रविवार (9 जून) को तीसरी बार सरकार बनी है। पीएम मोदी के साथ कुल 72 मंत्रियों ने शपथ ली। इनमें 30 कैबिनेट मंत्री, 5 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री और 36 राज्य मंत्री शामिल हैं। पीएम मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों का खास ध्यान रखा है। जाति के लिहाज से देखा जाए तो मंत्रिमंडल में दलित, महादलित, यादव, भूमिहार और पिछड़ी जाति को शामिल किया गया है। नए वोटर वर्ग के साथ कोर वोटरों पर भी फोकस है और साइलेंट वोटर मानी जाने वाली महिलाओं को भी सरकार में प्रतिनिधित्व दिया गया है। किस जाति-वर्ग से कितने मंत्री बनाए गए हैं?
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पीएम मोदी की कैबिनेट में किस वर्ग से कितने नेता
विपक्षी इंडिया ब्लॉक की चुनाव प्रचार रणनीति का मूल आधार रहे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और एसईबीसी अब मोदी सरकार में सबसे ज़्यादा प्रतिनिधित्व रखते हैं। इस श्रेणी से कुल 29 मंत्री बने हैं: एसईबीसी (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) से 2 और ओबीसी से 27। इसके अलावा पीएम मोदी की नई कैबिनेट में 21 सवर्ण, 10 एससी, 5 एसटी, 5 अल्पसंख्यक मंत्री शामिल हैं। इसमें 18 वरिष्ठ मंत्री भी शामिल हैं। पीएम मोदी की नई कैबिनेट में एनडीए के 11 सहयोगी दलों से मंत्री बनाए गए हैं। इनमें से 43 ऐसे सांसद मंत्री बने हैं जिन्होंने संसद में 3 या उससे अधिक कार्यकाल पूरा किया है। इसके साथ ही 39 ऐसे मंत्री बनाए गए हैं जो पहले भारत सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
मोदी सरकार में सात महिला मंत्री
मोदी सरकार 3.0 में बीजेपी के साइलेंट वोट बैंक महिलाओं से सात चेहरों को कैबिनेट में जगह दी गई है। पिछली सरकार में मंत्री रहीं निर्मला सीतारमण और अनुप्रिया पटेल के साथ अन्नपूर्णा देवी, शोभा करंदलाजे, रक्षा खडसे, सावित्री ठाकुर और निमूबेन बांभणिया को मंत्री बनाया गया है।
पीएम मोदी की कैबिनेट में किसे मिली जगह
पीएम मोदी की इस कैबिनेट में कई पूर्व मुख्यमंत्रियों, 34 राज्य विधानसभाओं में काम कर चुके सदस्यों और 23 राज्यों में सांसद चुने जाने के बाद मंत्री के तौर पर काम कर चुके सदस्यों को भी जगह दी गई है। सवर्ण मंत्रियों में अमित शाह, एस जयशंकर, मनसुख मंडाविया, राजनाथ सिंह, जितिन प्रसाद, जयंत चौधरी, धर्मेंद्र प्रधान, रवनीत बिट्टू, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, मनोहर लाल खट्टर, जितेंद्र सिंह, गजेंद्र सिंह शेखावत, संजय सेठ, राम मोहन नायडू, सुकांत मजूमदार, प्रहलाद जोशी, जेपी नड्डा, गिरिराज सिंह, ललन सिंह, सतीश चंद्र दुबे शामिल हैं।
सोशल इंजीनियरिंग को साधने की कोशिश
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मोदी कैबिनेट में बिहार की सोशल इंजीनियरिंग को साधने की कोशिश की गई है। नाराज भूमिहारों को खुश करने के लिए नीतीश कुमार ने ललन सिंह को आगे किया है। साथ ही उन्होंने कोर वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए ईबीसी जाति से आने वाले रामनाथ ठाकुर को भी मंत्री बनाया है। बिहार में ईबीसी आबादी 36 फीसदी से ज्यादा है। इस चुनाव में भी ईबीसी का भरोसा नीतीश कुमार पर है।
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