कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Congress president Mallikarjun Kharge) की कहानी संघर्ष, दृढ़ संकल्प और अनवरत मेहनत का प्रतीक है। एक दलित परिवार में जन्मे खड़गे का सफर आसान नहीं था। कर्नाटक के एक छोटे से गांव में जन्मे खड़गे ने अपने जीवन की शुरुआत कठिन परिस्थितियों में की। उनके परिवार को न केवल आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, बल्कि सामाजिक भेदभाव का भी सामना करना पड़ा। लेकिन इन कठिन परिस्थितियों ने उनके आत्मविश्वास को कभी कम नहीं होने दिया।
प्रारंभिक जीवन और संघर्ष- Mallikarjun Kharge Life story
खड़गे का जन्म 1942 में कर्नाटक के बीदर जिले में हुआ था। उन्होंने शिक्षा प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की और कानून की पढ़ाई की। पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें दलित समाज के लिए अन्याय और असमानता का प्रतिकार करने की प्रेरणा मिली। उन्होंने हमेशा से ही समाज में समानता और न्याय की भावना को बढ़ावा देने का प्रयास किया।
7 साल की उम्र में खड़गे ने खोया था मां
महज सात साल की उम्र में मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी मां और अन्य रिश्तेदारों (Mallikarjun Kharge family) को खो दिया। सांप्रदायिक दुश्मनी के कारण उन्हें अपने जन्मस्थान से पास के कलबुर्गी जिले में स्थानांतरित होना पड़ा, जिसे मूल रूप से गुलबर्गा के नाम से जाना जाता था। अपनी शिक्षा का खर्च उठाने के लिए उन्होंने एक मूवी थियेटर में भी काम किया। वह छह भाषाएँ बोलते हैं।
छात्र संघ से की शुरुआत
हालांकि, खड़गे ने अपना राजनीतिक जीवन (Mallikarjun Kharge political career) एक छात्र संघ नेता के रूप में शुरू किया था। वे गवर्नमेंट कॉलेज गुलबर्गा में छात्र संघ के महासचिव चुने गए थे। 1969 में, वे एमएसके मिल्स कर्मचारी संघ के कानूनी सलाहकार बन गए। वे संयुक्त मजदूर संघ के एक प्रभावशाली ट्रेड यूनियन नेता भी थे और उन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया।
राजनीति में प्रवेश- Mallikarjun Kharge political career
मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से की और जल्द ही अपनी योग्यता और मेहनत से पार्टी में अपनी जगह बना ली। वे 1969 में कांग्रेस में शामिल हुए और जल्द ही अपनी नेतृत्व क्षमता के कारण पार्टी में एक मजबूत नेता के रूप में उभरे। उन्होंने विभिन्न राजनीतिक पदों पर कार्य किया और कई बार कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए। उनकी प्रतिबद्धता, ईमानदारी और सेवा भावना ने उन्हें पार्टी में लोकप्रिय बना दिया।
कठिनाइयों के बावजूद आगे बढ़ना
दलित समुदाय से होने के कारण खड़गे को अपने राजनीतिक जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्हें सामाजिक असमानता और भेदभाव का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने संघर्ष को अपनी ताकत बनाया। वे हमेशा समाज के दबे-कुचले तबकों की आवाज़ बने और उनके अधिकारों के लिए लड़ते रहे। उनकी यही प्रतिबद्धता और जुझारूपन उन्हें कांग्रेस पार्टी में ऊंचे पदों पर ले गया।
कांग्रेस अध्यक्ष बनना
2022 में मल्लिकार्जुन खड़गे को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष (Congress president Mallikarjun Kharge) चुना गया। यह उनकी जीवन यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, क्योंकि कांग्रेस पार्टी के इतिहास में वे दूसरे दलित अध्यक्ष बने। उनका यह पदभार न केवल उनके लिए बल्कि उन लाखों दलितों और वंचितों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बना, जो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद, खड़गे ने पार्टी में नए बदलाव और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए।
मल्लिकार्जुन खड़गे की कहानी इस बात का प्रमाण है कि सामाजिक बाधाएं और भेदभाव किसी भी व्यक्ति के आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प को नहीं रोक सकते। उनका जीवन उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर संघर्ष कर रहे हैं।