मणिपुर- 100 से ज़्यादा लोगों की मौत, 50 हज़ार से ज़्यादा विस्थापित, लोगों के घर जले, दुकानें जलीं, चर्च जले।
हाथरस भगदड़- 121 मौतों के बाद प्रशासन ने भोले बाबा पर चुप्पी साध ली है।
बाढ़- इस समय हरियाणा, दिल्ली और बिहार में नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है। बाढ़ के हालात कभी भी भयावह हो सकते हैं।
देश में इस वक्त चारों तरफ अशांति का माहौल है, कुछ चीजें तब तक सामने नहीं आती जब तक कोई उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर न कर दे। लेकिन हमें इन सब से क्या मतलब, हमें तो इस बात पर बात करनी है कि देश के प्रधानमंत्री ये सब भगवान भरोसे छोड़कर विदेश यात्रा पर निकल गए हैं। दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी 8-9 जुलाई को 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए मास्को गए हैं। यहां दिक्कत ये नहीं है कि वो भारत और रूस के बीच विदेशी संबंधों को सुधारने के लिए रूस गए हैं, यहां दिक्कत ये है कि जब हमारा देश खुद इतनी मुश्किलों से जूझ रहा है तो इन सबके बीच विदेश जाकर भारत की महानता का बखान करने का तर्क थोड़ा अजीब है।
प्रधानमंत्री मोदी इतनी लंबी यात्रा करके रूस पहुंच गए हैं, लेकिन कुछ कदम दूर अपने ही देशवासियों के पास जाकर उनका हालचाल पूछने में उन्हें इतनी हिचकिचाहट क्यों हो रही है, आइए इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
जब राहुल गांधी दौरे पर जा सकते हैं तो पीएम मोदी क्यों नहीं?
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सोमवार (8 जुलाई) को मणिपुर के जिरीबाम जिले पहुंचे और वहां राहत शिविरों का दौरा किया और पीड़ितों से मुलाकात की। राहुल गांधी का मणिपुर का यह तीसरा दौरा है। उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई भगदड़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए राहुल गांधी खुद मृतक के परिवार और रिश्तेदारों के घर गए और उनसे बातचीत की, लेकिन इन दोनों जगहों पर पीएम मोदी गायब रहे। पीएम मोदी ने इन घटनाओं पर ध्यान ही नहीं दिया।
“गैर-जैविक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉस्को जा रहे हैं और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी मणिपुर जा रहे हैं। पिछले 17 महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर के बारे में कुछ नहीं कहा है। वह मणिपुर के मुख्यमंत्री से नहीं मिले हैं, मणिपुर के राजनीतिक दलों, सांसदों, विधायकों से नहीं मिले हैं और वह मणिपुर गए ही नहीं हैं, 45 घंटे के लिए भी नहीं” – ये कहना है कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश का।
मणिपुर में संवैधानिक व्यवस्था ध्वस्त- सुप्रीम कोर्ट
कांग्रेस नेता जयराम रमेश के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा है कि वहां संवैधानिक मशीनरी, संवैधानिक व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है और हम मणिपुर सरकार पर भरोसा नहीं कर सकते।
मालूम हो कि मणिपुर में जारी हिंसा के दौरान महिलाओं के साथ क्रूरता का मुद्दा संसद में भी उठा था। संसद के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी दलों ने महिलाओं के साथ क्रूरता के वायरल वीडियो से सामने आई घटना को देश और मानवता पर कलंक बताया और दोनों सदनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तत्काल बयान की मांग को लेकर हंगामा किया। लेकिन पीएम मोदी का कोई बयान सामने नहीं आए। हैरानी कि बात तो ये है कि मणिपुर और उत्तर प्रदेश दोनों में डबल इंजन की सरकार है, फिर भी पीएम मोदी इन घटनाओं को लेकर कोई ज़िम्मेदारी नहीं ले रहे हैं।
पीएम मोदी ने अब तक कितनी विदेश यात्राएं की हैं और कितना खर्च हुआ है?
पीएम मोदी पिछले 9 साल के करायकाल में अब तक 72 विदेश यात्राएं कर चुके हैं। इनमें 9 बार सबसे अधिक अमेरिका का दौरा शामिल है। वहीं पीएम मोदी यूएई में 7, जापान में 7, जर्मनी- फ्रांस में 6 और रूस-चीन-नेपाल में 5 बार दौरा किया है।
PMO के अनुसार 2014 में पीएम मोदी ने 7 विदेशी दौरे किए। इस दौरान उन्होंने 9 देशों की यात्राएं कीं। पीएम मोदी ने भूटान के बाद ब्राजील, नेपाल, जापान, अमेरिका, म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया, फिजी और नेपाल देश का दौरा किया। 2014 में पीएम मोदी के विदेशी दौरे पर तकरीबन 77 करोड़ 91 लाख रुपये खर्च किए गए।
इसके बाद साल 2015 में उन्होंने 28 देशों का दौरा किया और खर्च 15 करोड़ 85 लाख रुपये था। इसके बाद 2016 में उन्होंने 18 देशों का दौरा किया और खर्च 15 करोड़ 85 लाख रुपये था। इसके बाद 2017 में उन्होंने 14 देशों का दौरा किया। इसके बाद 2018 में उन्होंने 23 देशों का दौरा किया, 2019 में उन्होंने 15 देशों का दौरा किया, 2020 में कोरोना के कारण कोई दौरा नहीं हो सका, 2021 में 4 विदेशी दौरे, 2022 में 7 विदेशी दौरे और 2023 में उन्होंने 11 देशों का दौरा किया।
पिछले साल जून में राज्यसभा में बताया गया था कि पिछले पांच सालों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं पर 254.87 करोड़ रुपये खर्च हुए। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने एक लिखित जवाब में उच्च सदन को बताया कि पिछले पांच सालों के दौरान पीएम मोदी की सभी यात्राओं पर कुल 2,54,87,01,373 रुपये खर्च हुए हैं।
इस वक़्त रूस जाना क्यों है जरूरी?
पीएम मोदी की मॉस्को यात्रा के बारे में विदेश मंत्री ने कहा, “व्यापार असंतुलन जैसे मुद्दे हैं… इसलिए नेतृत्व स्तर पर, यह प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के लिए एक-दूसरे से बैठकर सीधे बात करने का एक बड़ा अवसर होगा।” उन्होंने आगे कहा कि फिर जाहिर है, उनके निर्देशों के अनुसार, हम देखेंगे कि रिश्ते को कैसे आगे बढ़ाया जाए।
हालांकि इस यात्रा को लेकर विपक्ष का कुछ और ही कहना है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा पर कहा, “मैंने आज प्रधानमंत्री से तीन सवाल पूछे हैं। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह और पुतिन के साथ-साथ रूसी प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव 10 साल में 16 बार मिले हैं। लेकिन पुतिन और पीएम मोदी 10 साल में सिर्फ़ 11 बार मिले हैं। क्या रूस और भारत के बीच संबंधों में कुछ ठंडापन आया है?”
जयराम रमेश ने आगे कहा कि भारत का निर्यात मुश्किल से 3.5 बिलियन डॉलर है, लेकिन रूस से हमारा आयात लगभग 46 बिलियन डॉलर है। उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ा व्यापार असंतुलन है। जयराम रमेश ने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री की क्या रणनीति है? क्या वे रूस के राष्ट्रपति से इस बारे में बात करेंगे? इसके साथ ही जयराम ने कहा कि तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण सवाल है कि 50 भारतीय युवा रूसी सेना में लड़ रहे हैं। इसका मतलब है कि यहां कोई नौकरी नहीं है। हमारे प्रधानमंत्री इस पर क्यों चुप हैं?”
अगर हम भाजपा की बात सुनें तो हमें समझ में आता है कि देश चंगा है लेकिन अगर हम विपक्ष से पूछें तो हमें समझ में आता है कि देश आंतरिक और बाहरी दोनों तरह से मंदा है।
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