बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yavad) ने बिहार की राजनीति में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है, जिसके आस-पास भी पहुंचना किसी नेता के लिए बड़ी बात होगी। लालू यादव बिहार की राजनीति के वह धुरी हैं , जिसे कोई नेता नाप नहीं सकता। छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत करने वाले लालू यादव ने अपने लगभग चार दशक के लम्बे राजनीतिक करियर में हर वो बड़ा मुकाम हासिल किया, जिसकी दरकार हर एक राज नेता को रहती है। हालांकि लालू यादव (Lalu Yadav) पर जातिवाद के गंभीर आरोप[ लगें। बिहार के चारा घोटाले में लालू यादव को सजा भी सुनाई गई। लेकिन लालू यादव ने अपने राजनीतिक करियर में समाज के गरीब टपके के लोगों की समस्याओं को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी और इसके लिए काफी हद तक काम भी किया, जिसके चलते RJD सुप्रीमों लालू यादव को गरीबों का मसीहा (Messiah of the poor) के रूप में जाना जाता है।
गरीबों का मसीहा लालू
लालू प्रसाद (Lalu Prasad) के कई फैसले और जनता से संवाद करने के नायाब और आसान तरीके ने लालू प्रसाद को बिहार की जनता की निगाहों में सर्वेसर्वा बना दिया। धीरे-धीरे लालू यादव बिहार की जनता की आखों के तारें हो गए। लोग बिहार का मतलब लालू यादव समझने लगें। बिहार में कोई भी किसी गरीब से पूछता कि आपका नेता कौन हैं ? तो सब के जुबां पर एक ही नाम होता कि हमारा नेता तो लालू हैं। लालू यादव के चरवाहा विद्यालय को खोलने से लेकर रेलमंत्री रहते हुए AC वाली गरीब रथ चलाने की पहल ने लोगों के दिलों में उनके कद को और भी बढ़ा दिया। लालू प्रसाद गरीब रथ चलाकर ये मैसेज देने में कामयाब रहे कि बतौर रेलमंत्री वो गरीबों की कितनी परवाह करते हैं और उन्हें कम पैसे में बेहतरीन सुविधा मुहैया कराकर बेहतर जिंदगी प्रदान करना चाहते हैं। लालू यादव का गरीब रथ चलाने का फैसला उनकी राजनीति करियर में मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ। रेल मंत्री रहते हुए लालू यादव ने रेल विभाग में कुल्लहड़ का भी खूब प्रचार किया। कुल्लड़ के इस्तेमाल के प्रचलन को बढ़ावा देकर लालू यादव सीधा गांव और वहां की गरीब जनता के दिल में उतरना चाहते थे।
लालू यादव की इसी दिमागी राजनीति का लोहा उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी मानते हैं। समाज के दबे कुचले समाज के लोगों को अपने हक के लिए आवाज उठाने का हौसला लालू प्रसाद के ज़ामने में ही विकसित हो पाया है। बता दें , बिहार की राजनीति में कर्पूरी ठाकुर के बाद लालू प्रसाद ही वो दूसरा नाम हैं, जिन्होंने बिहार की राजनीति में अगड़ों की मजबूत पकड़ को सीधी मैदान में चुनौती दी थी। RJD के सहरसा से एमएलसी और पार्टी महासचिव अजय सिंह कहते हैं कि ‘लालू प्रसाद की अब तक की राजनीतिक यात्रा का मुल्यांकन इस बात से की जा सकता है कि (Lalu Prasad) ने हाशिए पर धकेले जा चुके दबे, कुचले और वंचित समाज के लोगों की दशा और दिशा सुधारने में अपनी जान फूंक दी।