‘केजरीवाल के बंगले’ पर क्या है विवाद, जानें आतिशी को सीएम आवास जाने से क्यों रोका गया?

Arvind Kejriwal's bungalow controversy
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दिल्ली में हाल ही में मुख्यमंत्री आवास से जुड़ा एक बड़ा विवाद सामने आया, जब आतिशी को उस बंगले में जाने से रोका गया, जो पहले अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक निवास के रूप में इस्तेमाल होता था। यह बंगला दिल्ली के सिविल लाइन्स में 6, Flagstaff Road पर स्थित है। केजरीवाल के इस्तीफा देने के बाद आतिशी ने मुख्यमंत्री का पद संभाला और इस बंगले में शिफ्ट हो गईं। लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब PWD (Public Works Department) ने यह दावा किया कि बंगले को आधिकारिक रूप से हैंडओवर की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई थी, और इसे ठीक से सरकार को सौंपा नहीं गया था। इससे बाद से एक बार फिर आम आदमी पार्टी और एलजी के बीच तकरार बढ़ गई है।

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PWD ने सीएम आवास को किया सील- PWD sealed the CM residence

उपराज्यपाल (LG) के निर्देश पर, PWD ने सीएम आवास को सील कर दिया और वहां डबल ताला लगा दिया गया, जिससे आतिशी को वहां से बाहर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। आम आदमी पार्टी (AAP) ने आरोप लगाया कि यह कदम भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दबाव में उठाया गया, और इसे राजनीतिक बदले के रूप में देखा गया। वहीं, BJP ने आतिशी पर बिना आधिकारिक आवंटन के बंगले में शिफ्ट होने का आरोप लगाया, जो नियमों का उल्लंघन था।

इस घटना के बाद राजनीतिक हलकों में काफी तनाव पैदा हुआ, और AAP ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान बताया। वहीं, उपराज्यपाल कार्यालय ने अब तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिससे विवाद और गहराता जा रहा है​

बंगले को लेकर क्या हैं आरोप?

भाजपा ने सीएम आवास के जीर्णोद्धार में अनियमितताओं का आरोप लगाया था। पिछले एक साल से इसकी जांच चल रही है। तब से सतर्कता विभाग पूरे मामले की जांच कर रहा है। इस मामले में पीडब्ल्यूडी के 10 अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई और निलंबन की कार्रवाई हो चुकी है। अब इस मामले की जांच सीबीआई भी कर रही है। 8 अक्टूबर को जारी अपने कारण बताओ नोटिस में सतर्कता विभाग (विजिलेंस) ने कहा कि 6 फ्लैग स्टाफ रोड स्थित आवास को कभी भी दिल्ली के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के रूप में चिह्नित नहीं किया गया है। यह मामला सीपीडब्ल्यूडी, सीबीआई और सतर्कता निदेशालय, जीएनसीटीडी के अधीन है।

सारा विवाद चाबियों को लेकर

पूरा विवाद चाबियों को लेकर है। इसके जीर्णोद्धार में कथित अनियमितताओं का मामला भी लंबित है। पहले यह बंगला तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आवंटित था। वे इसमें अपने परिवार के साथ रहते थे। नोटिस के मुताबिक, केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सीएम के अतिरिक्त सचिव रामचंद्र एम ने 4 अक्टूबर को पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव को एक नोट दिया था। इसमें कहा गया था कि बंगला मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी को आवंटित किया जाए।

इसके बाद केजरीवाल ने अपने कर्मचारियों को मुख्यमंत्री आवास छोड़ने और पीडब्ल्यूडी को चाबियाँ देने से जुड़ी कागजी कार्रवाई और अन्य कानूनी औपचारिकताओं को संभालने के लिए भेजा। पीडब्ल्यूडी के निर्देशों के बावजूद, विशेष सचिव ने चाबियाँ नहीं सौंपी हैं, जबकि पीडब्ल्यूडी ने उन्हें इस बारे में एक पत्र लिखा था। यह संबंधित अधिकारियों को सरकारी सुविधा का स्वामित्व न देने के समान है, जब उनसे चाबियाँ छीन ली जाती हैं, और इसका असर इमारत की सूची और उसमें मौजूद वस्तुओं पर पड़ सकता है।

क्या लगे हैं आरोप?

दरअसल, यह सब तब स्पष्ट हुआ जब विजिलेंस ने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को एक अधिसूचना भेजी। पीडब्ल्यूडी के अनुसार, पिछले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर छोड़ने के बाद चाबियाँ वापस कर दी गईं। इसके बाद, सीएम कार्यालय के उप सचिव सतिंदर मोहन ने भी पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता को एक पत्र भेजा। रिपोर्ट के अनुसार, केजरीवाल 4 अक्टूबर को घर से बाहर चले गए।

उस दौरान सीएम कैंप कार्यालय में मौजूद अनुभाग अधिकारी मुकेश कुमार को चाबियां सौंपी गईं। अगले दिन यानी 5 अक्टूबर को पीडब्ल्यूडी के जूनियर इंजीनियर करम सिंह यादव ने सीएम कैंप कार्यालय के अनुभाग अधिकारी विजय कुमार को सरकारी आवास खाली करने की रिपोर्ट पेश की। 6 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे मुख्यमंत्री आतिशी सीएम आवास पर पहुंचीं। इसके बाद पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने सीएम आतिशी को चाबियां सौंपीं।

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