महाराष्ट्र में सबसे कम वोटों के अंतर से जीतने वाले शिंदे गुट के शिवसेना उम्मीदवार रविंद्र वायकर को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। नए सांसद रविंद्र वायकर इस लोकसभा चुनाव में महज 48 वोटों से जीते हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी उनकी जीत पर सवाल उठाए हैं। आइए आपको रविंद्र वायकर के बारे में विस्तार से बताते हैं।
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चुनाव की घोषणा तक उद्धव ठाकरे के साथी थे वायकर
रविंद्र वायकर लोकसभा चुनाव की घोषणा होने तक उद्धव ठाकरे के साथ थे, लेकिन 10 मार्च को वे सीएम एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली शिवसेना में शामिल हो गए। इसके बाद 30 अप्रैल को शिवसेना ने उन्हें मुंबई उत्तर पश्चिम से उम्मीदवार घोषित किया। महज दो हफ्ते के प्रचार में वायकर विधायक से सांसद बन गए। मुंबई में 20 मई को वोटिंग हुई थी। इस सीट पर कुल 21 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था।
कौन है रवींद्र वायकर?
शिवसेना के टिकट पर मुंबई उत्तर पश्चिम से जीतने वाले रवींद्र वायकर का पूरा नाम रवींद्र दत्ताराम वायकर है। वह महाराष्ट्र में शिवसेना के नेता हैं। पार्टी में विभाजन के समय वह उद्धव ठाकरे के साथ रहे। 2019 के विधानसभा चुनाव में वायकर ने जोगेश्वरी पूर्व विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने 2009, 2014 के बाद 2019 में जीत दर्ज कर हैट्रिक बनाई। वह दिसंबर 2014 में महाराष्ट्र के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री बने। इसके साथ ही उन्हें आवास, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग दिया गया। वायकर को रत्नागिरी जिले के पालक मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। फिलहाल वायकर पिछले कुछ समय से ईडी की कार्रवाई का सामना कर रहे थे। जब वह एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में गए थे तब भी उनके खिलाफ मामले दर्ज थे।
राहुल गांधी ने पूछे सवाल
कांग्रेस पार्टी ने ‘मिड डे’ अख़बार की एक रिपोर्ट शेयर करते हुए पूछा है कि ईवीएम से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है। मुंबई में एनडीए उम्मीदवार रविंद्र वायकर के एक रिश्तेदार का मोबाइल फोन ईवीएम से कनेक्ट था। यहां एनडीए का यह उम्मीदवार सिर्फ़ 48 वोटों से जीता। ऐसे में सवाल यह है कि एनडीए उम्मीदवार के रिश्तेदार का मोबाइल ईवीएम से क्यों कनेक्ट था? मोबाइल फोन उस जगह कैसे पहुंचा जहां वोटों की गिनती हो रही थी? ऐसे कई सवाल हैं जो संदेह पैदा करते हैं। केंद्रीय चुनाव आयोग को स्पष्टीकरण देना चाहिए?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले में और भी गंभीर रुख अपनाते हुए कहा कि भारत में ईवीएम एक ब्लैक बॉक्स है, और किसी को भी इसकी जांच करने की अनुमति नहीं है। हमारी चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएं जताई जा रही हैं। जब संस्थाओं में जवाबदेही की कमी होती है, तो लोकतंत्र दिखावा बन जाता है और धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है। गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के मालिक एलन मस्क की एक पोस्ट को कोट करते हुए यह पोस्ट किया।