गुजरात है भारतीय जनता पार्टी का गढ़
भारतीय जनता पार्टी (BJP) या फिर कह ले हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)का गढ़ गुजरात (Gujarat), आज-कल मीडिया की सुर्ख़ियों से हटने का नाम ही नहीं ले रहा। जैसे-जैसे गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) की तारीखें नजदीक आ रही हैं वैसे-वैसे राज्य में राजनीति तेज़ होते जा रही है। एक तरफ भाजपा और कांग्रेस (Congress) खड़ी है जो गुजरात के लिए लिए पुराणी चादर हो चुकी है तो दूसरी तरफ अरविन्द केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और असुबुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) हैं, जिनके गुजरात चुनाव में उतरने से राज्य की जनता को कुछ और विकल्प नजर आने लगें हैं। आज हम इन नेताओं या फिर इनके राजनीतिक पार्टियों के बारे में बात नहीं करेंगे, आज हम बात करेंगे गुजरात और वहां की जनता के जमीनी मुद्दों के बारे में, ऐसे मुद्दों के बारे में जो राज्य और राज्य के राजनीतिक समीकरण को बदलने के लिए प्रयाप्त है।
मोरबी पुल हादसा बन सकता था विपक्षियों के लिए बड़ा मुद्दा
गुजरात में एक दिसंबर और पांच दिसंबर को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होगी, जबकि आठ दिसंबर को यह भी पता चल जायेगा की इस बार राज्य में एक बार फिर से भाजपा आएगी या फिर गुजरात की जनता को अब बदलाव चाहिए। राज्य में चुनाव से पहले मोरबी पुल (Morbi bridge)का टूटना विपक्ष के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकता था, लेकिन भाजपा ने अभी तक अपने विपक्षियों को इस मुद्दे के कारण खुद पर हावी नहीं होने दिया है। इस मुद्दे को लेकर अगर जनता का पक्ष देखे, तो जनता इस हादसे को राजनीतिक मुद्दा बनाएगी या नहीं ये तो आठ दिसम्बर को ही पता चलेगा।
बिलकिस बानो गैंगरेप में आरोपियों को छूट
जनता के बीच एक और मुद्दा बहुत तेज़ी से घर करता दिखा और वो है बिलकिस बानो गैंगरेप और हत्या (Bilkis Bano gangrape and murder) का मामला। आपको अगर याद होगा तो कुछ दिन पहले ही अदालत ने बिलकिस बानो के अपराधियों को छोड़ दिया था। बिलकिस बानो का मुद्दा इस चुनाव में नजर आ सकता है। अपराधियों की सजा में छूट का मुद्दा बहुसंख्यकों और अल्पसंख्यकों पर अलग अलग देखा जा सकता है। एक तरफ जहां अल्पसंख्यक, यानि की मुस्लिम वर्ग प्रशासन और सिस्टम के खिलफ दिख सकती है, वहीं दूसरी तरफ हिन्दू बहुसंख्यक प्रशासन के साथ खड़े दिख सकते हैं।
- परीक्षाओं की लीक होती पेपर है युवाओं का बड़ा मुद्दा
गुजरात जैसे राज्य में, जहां का विकास मॉडल पूरे देश में एक समय प्रचलित था वहां पेपर लीक (Paper leak) और सरकारी परीक्षा भी एक बहुत बड़ा मुद्दा है। राज्य से कई बार पेपर लीक होने की खबरें आ चुकी हैं, इससे बेरोजगारी झेल रहे युवाओं में काफी गुस्सा है। परीक्षाओं के स्थगित होने से सरकारी नौकरी पाने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले युवाओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया। इससे राज्य के नौजवान भाजपा सरकार से नाराज दिखती हैं।
- राज्य की ही नहीं देश की सबसे बड़ी समस्या है बेरोजगारी
इस बार के विधानसभा चुनाव में गुजरात की जनता बेरोजगारी के मुद्दे पर भी वोट कर सकती है। बेरोजगारी (Unemployement) तो वैसे देश भर में एक बड़ी समस्या बन गई है लेकिन कोई भी सरकार इस मुद्दे पर जनता के साथ कड़ी नहीं दिखती। हाँ लेकिन सभी राजनीतिक पार्टियां अपने चुनावी संकल्प में इसका जिक्र जरूर करती हैं। अब देखना दिलचस्प होगा की 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले, इन विधानसभा चुनावों में जनता इस बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरती है या नहीं।
- शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और खराब सड़के भी है चुनावी मुद्दा
गुजरात विधानसभा चुनाव में आप के मंत्री अरविन्द केजरीवाल के उतरने से शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और खराब सड़के भी राज्य की जनता के लिए चुनावी मुद्दा बन सकती है। केजरीवाल ने राज्य में अपना चुनाव प्रचार ही शुरू किया था शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर। इस कारण गुजरात की आम जनता को शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा और खराब सड़क को लेकर केजरीवाल का विकल्प दिख सकता है।
सत्ता विरोधी लहर और किसानों का मुद्दा
जानकारों की माने तो इस बार गुजरात में सत्ता विरोधी लहर और किसानों का मुद्दा भी इस विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिकाओं में से एक बन सकती है। आपको यह तो पता ही होगा भाजपा 27 सालों से राज्य की सत्ता में काबिज है। इतने लंबे समय से एक ही सरकार होने के कारण बहुत सारे लोगों में असंतोष की भावना किसी-न-किसी कारण से आ ही जाती है। उधर किसान आंदोलन के बाद राज्य के किसान भी मोदी सरकार से थोड़े-बहुत नाखुश तो हैं ही। देखना बस यह है की जनता अपनी नाराजगी किस तरह से दिखाती है, क्या जनता सत्ता में बदलाव करके अपने गुस्से को दिखाएगी या फिर वोट कटौती कर भाजपा को चेतावनी देगी। अब इसका पता तो आठ दिसंबर को ही चलेगा की गुजरात की मासूम सी आम जनता किस मुद्दे पर किसको वोट देती है और किस मुद्दे पर किसका टिकट काटती है।