कर्नाटक राज्य में कांग्रेस की सिद्वारमैंया सरकार द्वारा मंदिरों से टैक्स देने का विधेयक लाने पर राजनीति गलियारों में भूचाल आ गया है. राज्य सरकार ने विधानसभा में कर्नाटक हिंदू संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती कानून पास कराया था. पारित विधेयक एक करोड़ रुपए से अधिक वाले मंदिरों को 10 प्रतिशत और 10 लाख रुपए से एक करोड़ रुपयों के मंदिरों को 5 प्रतिशत कर संग्रह का आदेश देता है. इस विधेयक से कर्नाटक की राजनीति में भूकंप आ गया है. कांग्रेस और भाजपा के मध्य तीखी नोंकझोंक हो रही है.
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बीजेपी और कांग्रेस में गहमागहमी
सतारूढ़ पार्टी कांग्रेस पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने हिंदू विरोधी नीतियां लागू करने का आरोप लगाया है. जबकि कांग्रेस ने अपना बचाव करते हुए कहा का इस तरह का प्रावधान 2001 में ही पारित हो चुका है. राज्य सरकार के मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने भाजपा के आरोपों का खंडन करते हुए उनकी धार्मिक राजनीति पर सवालिया निशान उठाते हुए कहा कि कांग्रेस ने सदैव ही हिंदुओं के हितों की रक्षा की है. कर्नाटक की जनता बीजेपी के षड्यंत्र से अच्छी तरह वाकिफ है, और आने वाले लोकसभा चुनाव में मुहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है. मीडिया से मुखातिब होते हुए रेड्डी ने कहा कि यह प्रावधान कोई नया नही है, यह वर्ष 2003 से अस्तित्व में है. वहीं बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस मंदिरों के पैसों से अपना खजाना भरना चाहती है.
कर्नाटक सरकार की प्रतिक्रिया
राज्य सरकार ने इस मामले पर अपनी दलील देते हुए कहा कि प्रदेश में 40 से 50 हजार पुजारी हैं. जिनकी राज्य सरकार सहायता करना चाहती है. सरकार का उद्देश्य है कि अगर यह राशि धार्मिक परिषद तक आती है तो उन्हें बीमा कवर दिया जा सकता है. सरकार के मंत्री रेड्डी ने कहा कि उनकी मंशा है कि पुजारियों के साथ कुछ होता है तो उनके परिवार को 5-5 लाख रुपए धनराशि प्राप्त हो. इस प्रीमियम का भुगतान करने के लिए सरकार को कम से कम 8 करोड़ रुपए का आवश्यकता होगी.
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