कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान पूरा हो गया है. जिसके सारे मीडिया चैनलों पर एग्जिट पोल भी आ गए है. लेकिन चौकाने वाली बात तो ये है कि इस बार का एग्जिट पोल भी कुछ पिछले साल 2018 के इलेक्शन जैसे कहानी बयां करने को तैयार है. जिसमे कांग्रेस को पूरी बढ़त बताई जा रही और पहले की तरह भाजपा दुसरे नंबर पर खिसकती नजर आ रही है. हालांकि जनता दल यानि सेक्युलर की स्थिति पहले से कुछ ज्यादा ख़राब हालत में दिखाई पड़ रही है. यानि कहीं एग्जिट पोल की माने तो कहीं न कहीं किसी पार्टी को भी बहुमत मिलने की सम्भावना नहीं है. और जनता का एक समान परिणाम देखने को मिल सकता.
पहले हिमाचल, अब कर्नाटक
नफरत मुक्त हो रहा है भारत 🇮🇳 pic.twitter.com/ksUQCGocID— Srinivas BV (@srinivasiyc) May 10, 2023
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लेकिन अगर ऐसा हुआ तो एक बार फिर से वही होने वाला है जो पिछली बार हुआ था जेडीएस फिर से एक बार किंगमेकर का काम करेगी. इस बार भी वही सम्भावना है कि जेडीएस भाजपा कांग्रेस या भाजपा के साथ मिलकर कर्नाटक की सरकार बनाए.लेकिन जिस तरह का सीन लास्ट टाइम भाजपा ने जेडीएस के साथ किया था उससे इस बात की पूरी उम्मीद लगायी जा सकती है कि जेडीएस इस बार कांग्रेस की ओर रुख करना पसदं करेगी अगर ऐसा हुआ तो. ये बात अलग है कि वास्तविक परिणाम एग्जिट पोल के कितने करीब रहते हैं ये 13 मई की दोपहर को देखना दिलचस्प होगा.
क्या थे 2018 के एग्जिट पोल?
अगर हम पहले बात साल 2018 के एग्जिट पोल की करें तो न्यूजएक्स-सीएनएक्स और रिपब्लिक-जन की बात को छोड़कर कोई भी एजेंसी सही आंकड़ों के करीब नहीं पहुंच पाई थी. ज्यादातर एजेंसियों, फिर चाहे वो टाइम्स नाउ-वीएमआर हो, इंडिया टुडे-एक्सिस हो, एबीपी न्यूज-सी वोटर हो या इंडिया टीवी, सभी ने कांग्रेस को ज्यादा सीटें दी थीं. वैसे, अधिकांश एग्जिट पोल इस बात पर सहमत थे कि कोई भी दल अपने स्वयं के बूते पर पूर्ण बहुमत नहीं पाएगा.
इंडिया टुडे-एक्सिस ने कांग्रेस और रिपब्लिक-जन की बात ने भाजपा को बहुमत मिलने का अनुमान लगाया था. सभी एजेंसियों ने जेडीएस को लेकर करीब-करीब वास्तविक आंकड़ों के आसपास ही अनुमान लगाया था. मोटा-मोटा भाजपा को 79-114, कांग्रेस को 72-118, जेडीएस को 22-43 सीटों का अनुमान लगाया गया था, जबकि वास्तविकता में भाजपा को 104, कांग्रेस को 78, जेडीएस को 37 और अन्य को 3 सीटें मिली थीं.
यहां से बदला दिखा चुनाव का रुख
दरअसल, कर्नाटक का चुनाव इस बार काफी गर्मा-गर्मी वाला रहा है. सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत लगाई. चुनाव मुख्य रूप से भाजपा, कांग्रेस और जेडीएस के बीच में लड़ा गया. इसमें भी भाजपा और कांग्रेस अधिक दावे कर रही हैं. शुरुआत से विश्लेषक अनुमान लगा रहे थे कि सत्तारूढ़ भाजपा इस बार नुकसान में रहेगी, क्योंकि सत्ता विरोधी लहर के अलावा भ्रष्टाचार के आरोप भी कांग्रेस ने बड़े मजबूती से उठाए हैं.
कर्नाटक में भाजपा का बैंड बजा दिया 🔥✌️ pic.twitter.com/wqRijhYnIT
— Nitin Agarwal (@nitinagarwalINC) May 10, 2023
कांग्रेस ने मुफ्त के वादे भी खूब किए, जिसे देखा-देखी भाजपा ने भी कई घोषणा कर दीं. चुनाव से दस दिन पहले तक तो यह भी अनुमान लगाया जा रहा था कि भाजपा चुनाव में पिछड़ चुकी है.
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भाजपा का घोषणा पत्र कांग्रेस से एक दिन पहले आया. यहां तक सब ठीक चल रहा था, लेकिन अगले दिन जैसे ही कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी हुआ और उसमें पीएफआई के साथ बजरंग दल पर प्रतिबंध का वादा किया गया तो चुनाव का रुख बदल गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी चतुराई से बजरंग दल पर प्रतिबंध को बजरंग बली से जोड़ते हुए कांग्रेस को घेरना प्रारंभ कर दिया. शुरुआत में तो कांग्रेस को समझ ही नहीं आया कि आखिर यह हुआ क्या है और वह सफाई देने में जुट गई. फिर पार्टी ने बजरंग बली को लेकर मंदिर और आयोग बनाने जैसे वादे कर डाले, लेकिन शायद देर हो चुकी थी.
अब तक का एग्जिट पोल
वोटिंग के बाद अब तक जो भी एग्जिट पोल आए हैं, उनमें जी न्यूज–मैटराइज भाजपा को 79-94, कांग्रेस को 103-118, जेडीएस को 25-33 सीटें दे रहा है. टीवी9-पोलस्टार ने भाजपा को 88-98, कांग्रेस को 99-109, जेडीएस को 21-26, रिपब्लिक–मारक्यू ने भाजपा को 85-100, कांग्रेस को 94-108, जेडीएस को 24-32, न्यूजएक्स–जन की बात ने भाजपा को 94-117, कांग्रेस को 91-106, जेडीएस को 14-24 और न्यूज नेशन–सीजीएस ने भाजपा को 114, कांग्रेस को 86, जेडीएस को 21 सीटें दी हैं. अन्य को एजेंसियां 0-5 सीटें दे रही हैं. वहीँ देश के जाने माने न्यूज़ चैनल आजतक के एग्जिट पोल की बात करें तो भाजपा को 62-80 सीटें, कांग्रेस को 122-140 सीटें और जेडीएस को 20-25 सीटें प्राप्त हो रही हैं.
आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, एआईएमआईएम को लेकर अलग से कोई भी आंकड़ा नहीं दिया गया है.
क्या होता है एग्जिट पोल?
अक्सर लोग ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल में भ्रमित हो जाते हैं. ओपिनियन पोल में वोटिंग से पहले समय-समय पर जनता की राय जानकर अनुमान लगाया जाता है, जबकि एग्जिट पोल में जो मतदाता वोट डालकर बूथ से बाहर निकला है, उसकी राय ली जाती है. एग्जिट पोल में पूरे चुनाव क्षेत्र से 35,000 से 1,00,000 तक वोटरों की राय को जानकर अनुमान लगाया जाता है.
Not to forget, in previous Karnataka election the only exit poll which was absolutely spot on was by @pradip103
His exit poll for this time Karnataka Election 👇🏻 pic.twitter.com/UMJtX454cs
— maithun (@Being_Humor) May 10, 2023
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कब हुई एग्जिट पोल की शुरुआत
एग्जिट पोल की शुरुआत 15 फरवरी 1967 को नीदरलैंड के समाजशास्त्री और पूर्व राजनेता मार्सेल वॉन डैम ने की थी. तब नीदरलैंड में हुए चुनाव में डैम का आकलन बिल्कुल सटीक रहा था. हालांकि, भारत में एग्जिट पोल अस्सी के दशक में टीवी चैनलों की शुरुआत में आए.
अपने देश में जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126ए के तहत वोटिंग के दौरान ऐसी कोई चीज नहीं होनी चाहिए, जो वोटरों पर असर डाले या उनके वोट देने के फैसले को प्रभावित करे. इसलिए वोटिंग खत्म होने के डेढ़ घंटे तक एग्जिट पोल का प्रसारण नहीं किया जा सकता है.
ये तभी हो सकता है, जब चुनावों की अंतिम दौर की वोटिंग भी खत्म हो चुकी हो.