लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने समाजवादी पार्टी (सपा) जैसी राजनीतिक पार्टियों को नई जान फूंकी है, वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) जैसी पार्टियों को मुश्किल में डाल दिया है। वहीं इस बार उत्तर प्रदेश की राजनीति पर नजर डालें तो यहां चुनाव में कई चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं, लेकिन चंद्रशेखर आजाद के राजनीति में उभरने को महज संयोग कहना गलत होगा। नगीना लोकसभा सीट पर भारत और एनडीए गठबंधन को हराने वाले आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद इन दिनों चर्चा में हैं। उन्होंने इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर बड़ी जीत हासिल की है। यहां तक कि नगीना लोकसभा क्षेत्र से भीम आर्मी प्रमुख की जीत, जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी में जीत के अंतर के लगभग बराबर है। उनकी ये जीत दलित मतदाताओं की पसंद में बदलाव का संकेत देती है कि अब उनका भावी नेता कौन होगा। इसके साथ ही संसद पहुंचने के बाद उनके अगले कदम को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं कि वह एनडीए या INDIA Alliance किसके साथ जाएंगे? हालांकि, चंद्रशेखर ने दोनों ही गठबंधनों से दूर रहने की बात कही है। लेकिन इस बीच कांग्रेस के एक नवनिर्वाचित सांसद ने उन्हें बड़ा ऑफर दे दिया।
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क्या चंद्रशेखर कांग्रेस में होंगे शामिल?
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया के बेटे और नवनिर्वाचित सांसद तनुज पुनिया ने चंद्रशेखर आज़ाद को इंडिया अलायंस में शामिल होने का न्योता दिया है। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर संविधान का सम्मान करने वाले नेता हैं और इसलिए वे संविधान का उल्लंघन करने वालों के साथ नहीं जा सकते। उन्होंने चंद्रशेखर को हमारे साथ आने का ऑफर दिया।
कांग्रेस नेता कर रहे जमकर तारीफ
चंद्रशेखर की तारीफ करते हुए तनुज पुनिया ने कहा कि उन्हें देखकर बहुत अच्छा लगा। वह वंचित समाज से आगे आए हैं, जो सराहनीय है। सांसद का चुनाव जीतना आसान नहीं है और बिना किसी बड़ी पार्टी के समर्थन के इसे जीतना बड़ी बात है।
नगीना सीट से जीत के बाद चंद्रशेखर आजाद एक बड़े दलित नेता के रूप में उभरे हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि समय तय करेगा कि वह दलित चेहरा होंगे या बड़े नेता। अगर चंद्रशेखर समाज के साथ रहेंगे और उनके मुद्दों के लिए लड़ते रहेंगे तो वह एक बड़े चेहरे के रूप में उभर सकते हैं। उनका अब तक का काम सराहनीय है।
गठबंधन को लेकर क्या बोले आज़ाद?
गठबंधन को लेकर आजाद ने कहा कि वह एनडीए और INDIA Alliance दोनों से समान दूरी बनाए रखेंगे और अगर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) या राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में वंचित और वंचित वर्ग के साथ कोई अन्याय होता है तो वह अपनी आवाज उठाते रहेंगे। इन सबके बीच चंद्रशेखर आजाद ने ये भी कहा कि अगर एनडीए उन्हें प्रधानमंत्री भी बना देता है तो भी वह उस गठबंधन में शामिल नहीं होंगे। वहीं INDIA Alliance को लेकर पहले ही आज़ाद अपना रुख साफ कर चुके हैं कि वह किसी भी गठबंधन के साथ नहीं जाएंगे, लेकिन अब देखना यह है कि कांग्रेस आजाद को और कितना लुभाती है।
गौर करने वाली बात यह भी है कि चुनाव से पहले चंद्रशेखर आजाद को भारत गठबंधन के करीब देखा जा रहा था। माना जा रहा था कि गठबंधन उन्हें सीट दे सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और आखिरी वक्त में अखिलेश यादव से उनकी बातचीत टूट गई। इसके बाद उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया। कांग्रेस सांसद ने भले ही उन्हें न्योता दिया हो, लेकिन चंद्रशेखर ने फिलहाल किसी भी गठबंधन के साथ जाने के मूड में नहीं है।
चंद्रशेखर की जीत के क्या मायने हैं?
चंद्रशेखर आज़ाद ने एक दशक लंबे करियर में लंबा सफ़र तय किया है और नगीना में उनकी जीत ने राज्य में दलित राजनीति को हिलाकर रख दिया है, जहाँ लगभग 21% अनुसूचित जाति की आबादी है और चार बार दलित मुख्यमंत्री रहे हैं। इस लोकसभा चुनाव में आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के उम्मीदवार चंद्रशेखर आज़ाद ने उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट पर भाजपा के ओम कुमार को 1.5 लाख से अधिक मतों से हराया था। अपनी जीत को लेकर नगीना सांसद ने कहा, “मैं किसी के खिलाफ नहीं हूं। नगीना में दलितों और पिछड़े मुसलमानों का गठबंधन बना है। अगर मुझे यूपी में भी यही मौका मिला तो यूपी में बड़ा बदलाव आएगा। राजनीति एक कला है जिसे समझने में बहुत समय लगा। हम वंचित हैं लेकिन हमें लड़ना है ताकि हमारा समाज वंचित न रहे।”
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