14 महीनों से चला आ रहा किसान आंदोलन आखिरकार अपने अंतिम मोड़ पर पहुंच ही गया। मोदी सरकार की जद्दोजद्दद के बाद किसान राजी हो गए आंदोलन खत्म करने के लिए। बीते दिन संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से लंबे समय से चले आ रहे इस आंदोलन का स्थगित करने का ऐलान किया। किसान आंदोलन का मुद्दा बीजेपी के लिए सबसे बड़ी सिरदर्दी बना हुआ था और चुनाव में ये पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता था। विपक्षी पार्टियों का तो यही मानना है कि आने वाले समय में अलग अलग राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर ही बीजेपी कानून वापसी के लिए तैयार हुई और इस आंदोलन को खत्म कराया।
अब एक बड़ा सवाल ये है कि इस आंदोलन के खत्म होने से क्या होगा? क्या बीजेपी को आने वाले चुनावों में इससे फायदा मिलेगा? खासतौर पर अगर नजर डालें पश्चिमी यूपी की तो वहां पर अब क्या होगा? वैसे तो आंदोलन खत्म होने के बाद किसानों की पार्टी से नाराजगी का कोई मतलब रहा नहीं। तो क्या ऐसे में एक बार फिर पश्चिमी यूपी में अपना समर्थन वापस पाने में बीजेपी कामयाब हो पाएगी?
साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव हो या फिर 2017 के विधानसभा चुनाव। बीजेपी को पश्चिमी यूपी जिसे जाट बेल्ट भी कहा जाता है, वहां से काफी सपोर्ट मिला। वहीं किसान आंदोलन के दौरान यूपी से जो किसान गाजियाबाद के यूपी बॉर्डर पर बैठे थे, उनमें से ज्यादातर इसी इलाके के हैं।
हालांकि अब आंदोलन वापसी के बाद पार्टी का कुछ हौसला तो जरूर बढ़ा होगा। बीजेपी को उम्मीद होगी कि किसान आंदोलन की वापसी का कुछ असर पश्चिमी यूपी पर पड़ेगा और इससे पार्टी को फायदा होगा। लेकिन ऐसा सही में होता है या नहीं, ये तो चुनावों में ही पता चल पाएगा। देखना होगा कि आंदोलन वापसी के बाद पश्चिमी यूपी के वोटरों का मिजाज क्या होता है।