दस्यू सुंदरी फूलन देवी और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव कैसे मिले और कैसे मेन स्ट्रीम राजनीति में एक दस्यू महिला ने कदम रखा? क्या उस पर मुलायम सिंह यादव का हाथ था? आखिर फूलन देवी और मुलायम सिंह यादव के बीच क्या था जिसने फूलन देवी की जिंदगी बदलकर रख द? क्या था फूलन देवी और मुलायम सिंह यादव के बीच का कनेक्शन आज हम इसके बारे में ही जानेंगे…
फूलन देवी को जब भी याद किया जाता है ठाकुरों के विरोधी की तरह ही याद किया जाता है, लेकिन एक ठाकुर ने फूलन देवी की काफी हेल्प की थी उनका नाम जसविंत सिंह सेंगर हैं। इस बात का खुद फूलन देवी ने खुलासा किया। मुलायम सिंह यादव की एक जनसभा चल रही थी चकरनगर में जहां फूलन देवी भी मौजूद थीं और ठाकुरों पर कुछ बोलने के लिए फूलन को कहा गया तो उन्होंने अपनी बात शुरू की उस एरिया के प्रभावशाली ठाकुर नेता जसवंत सिंह सेंगर का नाम लेते हुए।
बताया कि कैसे बेहमई कांड के बाद महीनों उन्हें सेंगर साहब ने ही शरण दी थी। खाने-पीने यहां तक की और तमाम जरूरी सुविधाएं मुहैया करवाई थी। जब फूलन डाकू हुआ करती थी तब चम्बल के अलावा कई एरिया में फूलन देवी का काफी आतंक था। लोग उनका नाम सुनते ही घर में घुस जाते थे पर जब फूलन ने डकैती से संन्यास लिया और नॉर्मल लाइफ जीने लगी तो इस बात से उसे काफी लोग जानने लगे और काफी फेमस हुई। इसी प्रसिद्धि को देखते हुए समाजवादी पार्टी ने उनको टिकट दिया था।
हुआ ये कि 1994 में फूलन ने जेल से छूटकर शादी की उम्मेद सिंह से और फिर साल 1996 के आम चुनाव में फूलन देवी को टिकट मिल गया। क्या आप जानते हैं कि फूलन देवी को मिर्जापुर सीट से टिकट देने वाली कोई और नहीं बल्कि मुलायम सिंह यादव की ही पार्टी समाजवादी पार्टी थी। वो 1998 में हार गयी पर 1999 में उन्होंने चुनाव में जीत हासिल की। फिर सांसद बनने के कुछ ही वक्त बाद 25 जुलाई 2001 को उनकी हत्या कर दी गयी। शेर सिंह राणा ने फूलन देवी की हत्या गोली मारकर कर दी। राणा ने कहा कि फूलन को मारकर बेहमई हत्याकांड का उन्होंने बदला लिया।
फूलन देवी से जुड़ी कई कई ऐसी बाते हैं जो हैरान करती है और डराती है। 14 फरवरी 1981 को फूलन देवी ने कानपुर के बेहमई में 22 ठाकुरों को लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून डाला था। फूलन देवी पर 22 हत्या, 30 डकैती और किडनैपिंग के 18 केस दर्ज थे। जिसकी वजह से 11 साल की जेल की सजा दी गयी। साल 1993 में तब के सीएम मुलायम सिंह यादव ही वे थे जिन्होंने फूलन देवी पर लगे हर एक आरोप को वापस लेने का बड़ा निर्णय लिया।
फूलन देवी की शादी 11 साल की उम्र में ही 20 साल बड़े शख्स पुत्तीलाल से कराई गयी थी। फूलन देवी को शादी के बाद से ही प्रताड़ित किया जाने लगा। इस पर फूलन ने पति का घर छोड़ा और मां बाप के साथ रहने लगी। 15 साल की उम्र में गांव के ठाकुरों ने फूलन के साथ गैंगरेप किया। न्याय के लिए फूलन ने काफी कोशिशें की पर फिर वो नाकाम रहीं। नाराज दबंगों के कहने पर फूलन का डाकुओं ने अपहरण किया और बीहड़ में तीन हफ्तों तक उनके साथ रेप किया जाता रहा और फिर फूलन ने विक्रम मल्लाह गठजोड़कर आखिर में बंदूक उठा ली। यहीं से उसने अपने दुश्मनों का सफाया शुरू कर दिया। पीएम इंदिरा गांधी के कहने पर साल 1983 में आत्मसमर्पण का फूलन देवी ने फैसला किया।