देश में 17वीं लोकसभा के चुनाव चल रहे हैं और छह चरणों का मतदान पूरा हो चुका है। अब 7वें और आखिरी चरण का चुनाव 1 जून को होगा और उसके बाद 4 जून 2024 को चुनाव के नतीजे आएंगे। अब चुनाव प्रचार अपने आखिरी चरण में पहुंच चुका है। इसमें हेलिकॉप्टर ऑपरेटरों ने खूब कमाई की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चुनावी सीजन में ऑपरेटरों ने करीब 350-400 करोड़ रुपये कमाए हैं। हर चुनाव के मुकाबले इस बार मांग और समय भी बढ़ा है। ऐसे में इसकी कीमत में करीब 50 फीसदी का इजाफा हुआ है।
ऑपरेटरों ने किराए में 50% की वृद्धि की
चुनाव का समय हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों के लिए काफी व्यस्तता भरा होता है और मांग में भारी उछाल के कारण किराए की दरें भी 50% तक बढ़ जाती हैं। आपको बता दें कि हेलीकॉप्टर को घंटे के हिसाब से किराए पर लिया जाता है।
लाखों में किराया, कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर मिलता है हेलीकॉप्टर
चुनाव प्रचार में सिंगल इंजन वाले BIL-407 मॉडल का किराया 1.3 लाख से 1.5 लाख रुपए प्रति घंटा है। वहीं, ऑगस्टा AW109 और H145 एयरबस जैसे डबल इंजन वाले हेलीकॉप्टर का किराया 2.3 लाख से 3 लाख रुपए प्रति घंटा है। इसमें 7 से 8 लोग बैठ सकते हैं। अब अगर इसे 3 लाख रुपये के हिसाब से देखें तो 180 घंटे के लिए प्रति हेलिकॉप्टर किराया करीब 4-5 करोड़ रुपये होता है। रिपोर्ट की मानें तो इस बार लोकसभा चुनाव हेलिकॉप्टर ऑपरेटरों के लिए सबसे ज्यादा कमाई वाला साबित हुआ है और इस दौरान उनकी कमाई करीब 350-400 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।
वहीं, 15 सीटर ऑगस्टा वेस्टलैंड का किराया 4 लाख रुपए प्रति घंटा है। यह नेताओं की पहली पसंद है। चुनाव के दौरान हेलीकॉप्टर ऑपरेटर भाजपा, कांग्रेस और अन्य पार्टियों के साथ मिलकर 45 से 60 दिनों का अनुबंध करते हैं। इस अनुबंध में न्यूनतम घंटे सुनिश्चित किए जाते हैं। चाहे किराए पर लिए गए ये हेलिकॉप्टर उड़ान भरें या नहीं, पार्टी को भुगतान करना ही होता है। इसमें फीस का एक हिस्सा पहले ही दे दिया जाता है। जबकि, बाकी रकम बाद में चुकाई जाती है।
ये कंपनियां दे रही है सर्विस
किराए से हेलीकॉप्टर में मुहैया करवाने वाले ऑपरेटरों में पवन हंस, हेलिगो चार्टर्स और ग्लोबल वेक्टरा हेलिकॉर्प लिमिटेड शामिल हैं। इनके पास 13 से 15 हेलीकॉप्टर उपलब्ध है। वहीं चुनावों के दौरान मांग में भारी वृद्धि के कारण हेलीकॉप्टर ऑपरेटर नियमित किराए से 40-50 प्रतिशत अधिक किराया वसूल रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान इनके किराए में लगभग 20-30 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी।
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