विधानसभा में जूतों की माला…लोकसभा में चप्पलों की माला, इस नेता का प्रचार का अलग है अंदाज

Garland of slippers in Lok Sabha, Pandit Keshav Dev has a different style of campaigning
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उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में निर्दलीय प्रत्याशी पंडित केशव देव चप्पल की माला पहनकर चुनाव प्रचार के लिए निकले हैं। केशव देव खुद को आरटीआई एक्टिविस्ट बताते हैं। इससे पहले विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने जूतों की माला पहनकर प्रचार किया था। वहीं अब वह चप्पल की माला पहनकर लोकसभा चुनाव का प्रचार कर रहे हैं। दरअसल, इन सबके पीछे का कारण बताते हुए देव ने मंगलवार को कहा कि चुनाव आयोग ने उन्हें चुनाव चिन्ह ‘चप्पल’ आवंटित किया है। इसलिए लोगों का ध्यान खींचने के लिए इस बार वह चप्पलों की माला पहनकर प्रचार कर रहे हैं। केशव देव ने कुल 7 चप्पलों से यह माला बनाई है। उनके समर्थक भी प्रचार में उनके साथ हैं। वह पंडित केशव के पीछे बैनर लेकर प्रचार कर रहे हैं। बैनर पर उनका नाम और लोकसभा क्षेत्र का नाम लिखा हुआ है। साथ ही लिखा है- ‘समर्थित भ्रष्टाचार विरोधी सेना’ और चुनाव चिह्न ‘चप्पल’ बनी हुई है।

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आजतक से जुड़े अकरम ने पंडित केशव देव से चुनाव को लेकर बात की। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया, ‘मैं किसी पार्टी से राजनीति नहीं करता हूं। पिछले 15 सालों से सामाजिक कार्यों से जुड़ा हूं। साल 2017 में पहला चुनाव लड़ा था। इससे पहले मैंने साल 2017 और 2022 में विधानसभा चुनाव लड़ा था और नगर पार्षद का भी चुनाव लड़ा है और अब प्रधानमंत्री बनने के लिए लोकसभा चुनाव लड़ रहा हूं।’

इसी के साथ उन्होंने चुनाव के लिए अपना नारा भी दिया है, ‘जो करेगा अत्याचार, भ्रष्टाचार… जनता उन्हें मारेगी चुनाव चिह्न के रूप में चप्पल चार।’

सुर्खियों में रहे हैं केशव देव

केशव देव एक आरटीआई कार्यकर्ता होने के साथ-साथ भ्रष्टाचार विरोधी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। ‘मानवाधिकार युद्ध’ उनकी पार्टी की पंचलाइन है। वह लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार बन गये हैं। केशव देव उस समय भी अखबारों की सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट खिलाड़ी मार्शल मार्श के खिलाफ अभियान शुरू किया था। मार्श ने वर्ल्ड कप ट्रॉफी पर पैर रखकर तस्वीरें क्लिक की थीं। हालांकि, इसके खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हुआ था।

अलीगढ़ लोकसभा सीट का समीकरण

इस बार अलीगढ़ लोकसभा सीट पर 14 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है। 28 मार्च से 4 अप्रैल तक यहां कुल 21 लोगों ने नामांकन दाखिल किया है। इस बीच 5 उम्मीदवारों के नामांकन खारिज भी हो गए। अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र में करीब साढ़े तीन लाख मुस्लिम मतदाता हैं, लेकिन किसी भी पार्टी ने मुस्लिम प्रत्याशी को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया है। इस सीट पर बीजेपी का प्रभाव माना जाता है।

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