IAS की नौकरी को सबसे सुरक्षित नौकरी बताया गया है क्योंकि ये ऐसी नौकरी है जिसमें आपका तबादाल हो सकता है लेकिन आपकी नौकरी नहीं जाएगी. इस बात का जीकर इसलिए क्योंकि ऐसा ही एक ऐसा IAS ऑफिसर था जो CM योगी के लिए इतनी बड़ी मुसीबत बना गया कि उसके खिलाफ FIR दर्ज हुई और कई बार उसका ट्रान्सफर हुआ.
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12 महीने में दर्ज हुए छह मामले
जिस शख्स की हम बात कर रहे हैं उस शख्स का नाम पूर्व IAS ऑफिसर हैं और उनका नाम सूर्य प्रताप सिंह है. जो उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना करने वाले अपने तीखे ट्वीट्स और फिर अपने खिलाफ दर्ज होने वाली एफआईआर की वजह से चर्चा में आये और अभी तक उनके खिलाफ छह बार FIR दर्ज हुई और इस बात की जानकारी उन्होंने खुद अपने ट्विटर अकाउंट पर दी.
लॉकडाउन के दौरान दर्ज हुई पहली FIR
दिप्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, IAS ऑफिसर सूर्य प्रताप सिंह और योगी सरकार के बीच विवाद कोरोना के दौरान लगे लॉकडाउन के बीच हुआ जब उन्होंने यूपी में कम टेस्टिंग का मुद्दा उठाया था. वहीं इस दौरान उनके ऊपर जून 2020 में कोविड-19 महामारी से निपटने में सरकार की कोशिशों के संबंध में सोशल मीडिया पर कथित रूप से ‘भ्रामक सूचनाएं’ देने को लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
वहीँ जब उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ तब उन्होंने ट्वीट करके लिखा कीएक वरिष्ठ नौकरशाह ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से मिलने के बाद एक डिस्ट्रिक्ट मैनेजर को और अधिक कोविड टेस्ट का प्रस्ताव देने के लिए डांटा था.
इसके बाद अगले ही महीने यानी जुलाई 2020 में गोरखपुर जिले में बिजली मीटरों के मामले में भ्रष्टाचार को लेकर कथित तौर पर गलत सूचना ट्वीट करने को लेकर उनके खिलाफ खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इसी के साथ कासगंज में हत्या के मामले को लेकर ट्वीट करने के बाद अक्टूबर 2020 में सिंह के खिलाफ तीसरा मामला दर्ज किया गया, जिसमें एक मां और बेटी की ट्रैक्टर से कुचलकर मौत हो गई थी.
इसी के साथ आगे माह में दो अलग-अलग घटनाओं को लेकर उनके खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए थे. मई के शुरू में सूर्य प्रताप सिंह ने एक वीडियो ट्वीट किया था जिसमें दावा किया गया था कि वाराणसी में एक नाले में एक कोविड मरीज का शव मिला था. हालांकि, पुलिस का कहना था कि वीडियो असल में सितंबर 2020 का है और इस पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
इसी के साथ 13 मई को गंगा में तैरते शवों की कथित तौर पर सात साल पुरानी तस्वीर को ट्वीट करने के लिए पूर्व नौकरशाह के खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की गई थी. उन्होंने दावा किया था कि शव हाल ही में बलिया में नदी में देखे गए थे. सूर्य प्रताप सिंह का कहना है कि उन्हें ‘आम लोगों की आवाज’ उठाने के लिए निशाना बनाया जा रहा है.
ऑडियो को लेकर भी दर्ज हुआ मामला
इसी के साथ उनके खिलाफ एक मामला तब भी दर्ज हुआ जब ऑडियो शेयर हुआ था. इस ऑडियो में सुना जा सकता है कि कैसे दो अज्ञात लोग यूपी के मुख्यमंत्री का समर्थन करने के लिए पैसे की मांग कर रहे हैं. वहीं सूर्य प्रताप सिंह ने अपने ट्वीट में ऑडियो को ‘योगी का टूलकिट’ करार दिया था और इसके बाद कानपुर पुलिस ने अतुल कुशवाहा की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की थी, जिन्होंने सिंह और दो अन्य लोगों पर उन्हें और योगी आदित्यनाथ को बदनाम करने का आरोप लगाया था. तीनों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 505 (सार्वजनिक क्षति वाला बयान देना) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
वहीँ इसके बाद पुलिस अधिकारियों की एक टीम ने लखनऊ स्थित उनेक आवास पर 4 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की और पूर्व अधिकारी ने कहा कि यह उन्हें डराने और मुद्दे उठाने से रोकने की कोशिश है. वहीं ये सब मामले तब दर्ज हुए जब वो अपनी आईएस के पोस्ट के रिटायर हो गये थे.
‘पोस्टिंग के दौरान हुआ 54 बार ट्रांसफर’
बुलंदशहर के रहने वाले सूर्य प्रताप सिंह 1982 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं और उत्तर प्रदेश में कई विभागों में सेवाएं देने के बाद 2015 में रिटायर हुए थे. वहीं सूर्य प्रताप सिंह के 25 साल के कैरियर में 54 बार तबादला हुआ. उनकी अंतिम पोस्टिंग यूपी सरकार के सार्वजनिक उद्यम विभाग में प्रमुख सचिव और सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो के महानिदेशक के रूप में थी.
आईएएस में शामिल होने से पहले उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा के एक अधिकारी के रूप में कार्य किया. वहीं सेवा में रहने के दौरान वे एक लोकप्रिय अधिकारी थे. लोगों ने कथित तौर पर जिलों से उनके तबादले के दौरान विरोध प्रदर्शन किए थे और यहां तक कि कुछ मामलों में सड़कें तक बाधित कर दी थीं. साथ ही नैनीताल से उनका तबादला होने के बाद वहां तो एक हफ्ते तक बंद रखा गया था.
अखिलेश सरकार पर लगाए थे आरोप
ये पहली बार नहीं है जब पूर्व IAS ऑफिसर सूर्य प्रताप सिंह ने सिर्फ योगी सरकार पर आरोप लगाया हो. इससे पहले अखिलेश सरकार के दौरान भी उन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाए थे लेकिन तब उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं नहीं इ गयी थी.
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