बुधवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 30 साल पुराने एक विधायक महेंद्र सिंह भाटी की हत्या मामले में एक बहुत बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले में पूर्व मंत्री और यूपी के बाहुबली नेता डीपी यादव को राहत देते हुए बरी कर दिया। इससे पहले मामले में CBI कोर्ट ने डीपी यादव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सीबीआई कोर्ट के इस फैसले को अब उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पलट दिया। डीपी यादव के खिलाफ ठोंस सबूत नहीं होने की वजह से उन्हें ये बड़ी राहत मिली। बता दें कि 13 सितंबर 1992 में दादरी विधायक महेंद्र भाटी को दादरी रेलवे क्रासिंग पर गोली मारी गई थी। विधायक के इस हत्याकांड में बाहुबली नेता डीपी यादव समेत पाल सिंह उर्फ लक्कड़, करण यादव और परनीत भाटी आरोपी बने थे।
CBI के फैसले को हाईकोर्ट ने पलटा
क्योंकि डीपी यादव उत्तर प्रदेश का बाहुबली नेता था, इसलिए ऐसी संभावना थी कि शायद यूपी में मामले पर निष्पक्ष कार्रवाई ना हो सके। जिस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने साल 2000 में इस केस को देहरादून CBI को सौंप दिया। 15 फरवरी 2015 को देहरादून की CBI अदालत ने मामले के सभी आरोपियों के सभी आरोपियों को दोषी पाया। कोर्ट ने 10 मार्च को अपना फैसला देते हुए सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
इसके बाद इस सजा के खिलाफ CBI के फैसले को आरोपियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दे दी। जहां से अब डीपी यादव को तो राहत मिल गई और बाकि आरोपियों को लेकर फैसला सुरक्षित रखा गया है। वैसे आपको ये भी बता दें कि मेडिकल ग्राउंड के चलते डीपी यादव जमानत पर थे।
कभी दूध बेचने का काम करते थे डीपी यादव
पश्चिमी यूपी में कभी बाहुबली डीपी यादव को आंतक का दूसरा नाम माना जाता था। धर्मपाल नाम का एक व्यक्ति पहले दूध बेचने का काम करता था। वो देखते ही देखते तब डीपी यादव बन गया, जब वो शराब माफिया बाबू किशनलाल के संपर्क में आया। डीपी यादव ने अपने सफर की शुरूआत किशन लाल के चेले के रूप में की थी। जब उसकी राजनीतिक महात्वाकांक्षाएं बढ़ने लगे तो डीपी यादव ने महेंद्र सिंह भाटी को अपना गुरु बना लिया। 1988 में डीपी यादव ने बिसरख ब्लॉक प्रमुख के तौर पर चुना गया। इसके बाद अगले साल ही वो बुलंदशहर से विधायक भी बन गया।
1992 में विधायक पर चली थी ताबड़तोड़ गोलियां
लेकिन फिर देश में बड़ी राजनीतिक उठापटक शुरू हुई और उसका असर नोएडा में भी देखने को मिला। तब चौधरी अजित और मुलायम के रास्ते अलग हो गए, जिसमें महेंद्र सिंह भाटी ने अजित सिंह का साथ चुन लिया, तो डीपी यादव मुलायम के खेमे में चले गए। जिसके बाद से ही दोनों के बीच विवाद बढ़ता चला गया। और फिर 13 सितंबर 1992 को महेंद्र सिंह भाटी की दादरी में गोली मारकर हत्या कर दी। अब 30 सालों बाद डीपी यादव, महेंद्र भाटी हत्याकांड मामले में बरी हो गए है।